देश के कई राज्यों में मानसून पहुंच चुका है, जिसके साथ ही किसान धान सहित अन्य खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गये हैं। ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए धान की नर्सरी तैयार करने का समय भी हो गया है। जिसको देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (पूसा) ने दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों के किसानों धान की नर्सरी तैयार करने की सलाह दी है।
पूसा संस्थान के मुताबिक दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में धान की नर्सरी डालने के लिए यह उपयुक्त समय है। इसके साथ ही संस्थान ने अरहर, मूँग उड़द सहित खरीफ में लगाई जाने वाली सब्जियों के लिये भी सलाह जारी की है।
किसान इस तरह करें धान की नर्सरी की तैयारी
संस्थान द्वारा जारी एडवाइज़री में बताया गया है कि एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई करने हेतु लगभग 800-1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में पौध तैयार करना पर्याप्त होता है। नर्सरी के क्षेत्र को 1.25 से 1.5 मीटर चौडी तथा सुविधानुसार लम्बी क्यारियों में बाँटे। पौधशाला में बुआई से पहले बीजोपचार के लिए 5 किलोग्राम बीज के लिए बावस्टिन 10-12 ग्राम और 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन को 10 लीटर पानी में घोल लें। आवश्यकतानुसार इस घोल को बनाकर इसमें 12-15 घण्टे के लिए बीज को डाल दें। उसके बाद बीज को बाहर निकालकर किसी छायादार स्थान में 24-36 घण्टे के लिए ढककर रखें और पानी का हल्का-हल्का छिडकाव करते रहें। बीज में अंकुर निकलने के बाद पौधशाला में छिडक दें।
धान की अधिक उपज देने वाली किस्में
संस्थान ने किसानों को अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों जिसमें पूसा बासमती 1985, पूसा बासमती 1979, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1637, पूसा 44, पूसा 1718, पूसा बासमती 1401, पूसा सुगंध 5, पूसा सुगंध 4 (पूसा 1121), पंत धान 4, पंत धान 10 शामिल है, लगाने की सलाह दी है।
अरहर की खेती करने वाले किसान क्या करें?
जो किसान अरहर की खेती करना चाहते हैं वे किसान इस सप्ताह अरहर की बुआई कर सकते हैं। किसान अरहर बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। किसानों से यह आग्रह है कि वे बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम तथा फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं (पीएसबी) फँफूद के टीकों से उपचार कर लें। इस उपचार से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है। संस्थान ने किसानों को अधिक उत्पादन देने वाली किस्में जिसमें पूसा अरहर-16, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 991, पूसा 992, पारस तथा मानक शामिल है, लगाने की सलाह दी है।
मूंग और उड़द की खेती करने वाले किसान क्या करें?
वहीं जो किसान खरीफ सीजन में मूंग और उड़द की खेती करना चाहते हैं वे किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें। अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। इसके साथ ही बुआई से पहले किसान बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। संस्थान ने किसानों को अधिक उत्पादन देने वाली किस्में जिसमें मूंग की पूसा-1431, पूसा-1641, पूसा विशाल, पूसा-5931, एस एम एल-668, सम्राट तथा उड़द की उन्नत किस्में उड़द-टाईप-9, टी-31, टी-39 आदि शामिल है, लगाने की सलाह दी है।
सब्जियों के पौधे करें तैयार
संस्थान के मुताबिक़ यह समय अगेती फूलगोभी, टमाटर, हरी मिर्च और बैंगन की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है, अतः किसान यह प्रयास करें कि वे कीट अवरोधी नाईलोन की जाली का प्रयोग करें ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए 40 प्रतिशत छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊँचाई पर ढक सकते हैं। बीजों को थीरम 2-2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें।
वहीं ऐसे किसान जिन्होंने खेतों में भिंडी लगा रखी है वे किसान भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद यूरिया 5-10 किलो प्रति एकड़ की दर से डाले तथा उसके बाद सिंचाई करें। साथ ही तापमान को ध्यान में रखते हुए माईट, जैसिड और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें। तापमान को देखते हुए, किसान तैयार सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम को करें तथा इसके बाद इसे छायादार स्थान में रखें।