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शुक्रवार, अप्रैल 19, 2024
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किसान अधिक पैदावार के लिए इस वर्ष लगाएँ 2021 में विकसित की गई सोयाबीन की यह उन्नत क़िस्में

सोयाबीन की उन्नत क़िस्में 2021 एवं उनकी विशेषताएँ

सोयाबीन की बुआई का कार्य जून माह के दुसरे सप्ताह से शुरू हो जाएगा, इसके लिए किसानों को अच्छी पैदावार वाली किस्मों का चयन करना ज़रूरी है ताकि अधिक उत्पादन प्राप्त कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकें। प्रत्येक वर्ष देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा सोयाबीन की नई क़िस्में तैयार की जाती हैं ताकि किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें।

किसान समाधान ऐसी ही कुछ किस्मों की जानकारी अपने पाठकों के लिए लाया है जो पिछले वर्ष 2021 के दौरान अधिसूचित की गई हैं। किसान इन किस्मों की विशेषताओं एवं क्षेत्र के अनुसार इन किस्मों का चयन कर इसकी बुआई कर सकते हैं। किसान अधिक पैदावार के लिए इन किस्मों के प्रमाणित बीज ही खरीदें साथ ही बीज उपचार के बाद ही इनकी बुआई करें ताकि अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके।

वर्ष 2021 में विकसित की गई सोयाबीन की क़िस्में

देश के मध्य क्षेत्र जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुन्देलखंड भाग, राजस्थान, गुजरात, उतर–पश्चिम, महाराष्ट्र क्षेत्र के लिए पिछले वर्ष जो किस्म विकसित की गई हैं वो इस प्रकार है।

एमएसीएस-1520 (Macs 1520)

सोयाबीन की यह किस्म 98 से 102 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है | इस किस्म में बैंगनी फूल, भूरे रुएँ , काली नाभी होती है | सोयाबीन की इस किस्म से 29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार प्राप्त की जा सकती है। Macs 1520 किस्म चारकोल राँट, पीला, मोजका वायरस बैक्टीरियल पक्षूल, रायजोक्टोनिया, एरियल ब्लाईट तथा अल्टरनरिया लीफ स्पांटा जैसे रोगों के लिए प्रतिरोधकता है | साथ ही तना मक्खी, चक्र भृंग एवं पर्णभक्षी कीट समूह, लीफ हाँपर, स्टिक बग, बीन बग तथा फली छेदक कीट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधक है |

एनआरसी–130 (NRC – 130)

सोयाबीन की यह किस्म सीमित वृद्धि करने वाली है | इस किस्म की पहचान रूए रहित चिकनी फलियाँ तथा पीली नाभि से की जा सकती है। यह किस्म 92 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। सोयाबीन की यह किस्म चारकोल राँट, टारगेट लीफ स्पांट एवं पाँड ब्लाइट के प्रति रोग प्रतिरोधक है | सोयाबीन की इस किस्म से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

आरएससी 10-46 (RSC 10-46)

सोयाबीन की यह किस्म 98 से 107 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है | इस किस्म की पहचान अर्ध–सीमित वृद्धि, बैंगनी फूल, काली नाभिक है | सोयाबीन की यह किस्म चारकोल राँट, पीला मोजाइक वायरस, ब्लाईट, बैक्टीरियल पक्षूल, लीफ स्पांट के साथ–साथ तना छेदक एवं पर्णभक्षी कीटों के लिए प्रतिरोधक है | सोयाबीन की इस किस्म से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

आरएससी 10–52 (RSC 10–52)

सोयाबीन की यह किस्म 99 से 103 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है | इस किस्म की पहचान बैंगनी रंग के फूल तथा नाभि काली रहती है | यह किस्म बड ब्लाईट, बैक्टीरियल पक्षूल, टारगेट लीफ स्पाट, चारकोल राँट एवं तना छेदक के प्रति प्रतिरोधक है | इसके साथ ही रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट एवं पत्ती खाने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी है। सोयाबीन की इस किस्म से 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

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एएमएसएएमबी 5–18 (AMSMB 5–18)

सोयाबीन की यह किस्म 98 से 102 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है | इसकी पहचान यह है कि इसका फूल बैंगनी, नाभी भूरी होती है। यह किस्म चारकोल राँट के लिए प्रतिरोधी है | इसके अलावा पीला मोजाइक वायरस, सोयाबीन मोजाइक वायरस, बैक्टीरियल पश्चूल, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट तथा अल्टरनेरिया लीफ स्पांट के लिए मध्यम प्रतिरोधक है | चक्र भृंग, तना मक्खी तथा पत्ती भक्षक कीट समूह के लिए मध्यम प्रतिरोधी है | सोयाबीन की इस किस्म से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

देश के पूर्वी क्षेत्र (छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल) एवं उत्तर-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र असम, मेघालय, मणीपुर, नागालैंड व सिक्कम क्षेत्र के लिए पिछले वर्ष जो किस्म विकसित की गई हैं वो इस प्रकार है।

एमएएसीएस-1407 (MACS 1407)

सोयाबीन की यह किस्म 99 से 107 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है | इसकी पहचान सीमित वृद्धि, सफ़ेद फूल तथा भूरी नाभिक है। यह किस्म पीला मोजाइक वायरस, बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट, रायझोक्टोनिया एरियल ब्लाईट, पाँड ब्लाईट के लिए प्रतिरोधी है | तना मक्खी, पत्ती खाने कीट एवं एफिड के लिए मध्यम के प्रति प्रतिरोधी है। सोयाबीन की इस किस्म से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

एमएसीएस-1460 (Macs 1460)

सोयाबीन की यह किस्म 93 से 98 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म को सिमित वृद्धि के लिए जाना जाता है। इसके फूल सफेद तथा नाभिक काली होती है | यह किस्म पीला मोजाइक वायरस, बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट, रायझोक्टोनिया एरियल ब्लाईट, पाँड ब्लाईट के लिए प्रतिरोधी है | तना मक्खी, पत्ती खाने वाले कीट एवं एफिड के लिए मध्यम प्रतिरोधी है | सोयाबीन की इस किस्म से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

एनआरसी–132 (NRC–132)

सोयाबीन की यह किस्म 98 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है | यह भारत की प्रथम लिपोक्सीजिनेज 2 मुक्त सोयाबीन प्रजाति है | अर्द्ध सिमित वृद्धि, नुकीली अंडाकार पत्तियां तथा काली नाभिक इसकी पहचान है | यह किस्म पर्पल सीड स्टाइन के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी तथा पाँड ब्लाइट के लिए प्रतिरोधी है। तम्बाकू की इल्ली, चक्र भृंग एवं सेमीलूपर के लिए प्रतिरोधी है | सोयाबीन की इस किस्म से 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

एनआरसी – 147 (NRC – 147)

सोयाबीन की यह किस्म 100-106 दिनों में तैयार हो जाती है | यह प्रजाति भारत की प्रथम अत्यधिक ओलिक अम्ल युक्त (42 प्रतिशत) सोयाबीन किस्म है | इस किस्म की पहचान अर्ध–सीमित नुकीली अंडाकार पत्तियां, बैंगनी फूल, गहरी भूरी नाभिक होता है | सोयाबीन की यह किस्म ब्लाइट, फली छेदक, चक्र भृंग एवं तना सुरंगक कीटों के लिए प्रतिरोधी है। सोयाबीन की इस किस्म से 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

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एनआरसी – 128 (NRC – 128)

सोयाबीन की यह किस्म 105 दिनों में तैयार हो जाती  है | यह किस्म अर्ध – सिमित, नुकीली अंडाकार पत्तियां, बैंगनी फूल, भूरी नाभिक होता है | मूंग पीला मोजाइक वायरस की प्रतिरोधी तथा चारकोल, राँट के लिए मध्यम प्रतिरोधी है | इसके साथ ही जल-भराव के लिए सहनशील किस्म है। सोयाबीन की इस किस्म से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

एनआरसी – 136 (NRC – 136)

सोयाबीन की यह प्रजाति 107 दिनों में तैयार हो जाती है | यह किस्म की अर्ध–सिमित, नुकीली अंडाकार पत्तियां होती है | इसका सफेद फूल, गहरी भूरी नाभिका होता है | इंडियन बड ब्लाइट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी एवं पत्ती खाने वाले कीटों के लिए माध्यम प्रतिरोधी है | सोयाबीन की इस किस्म से 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

एनआरसीएसएल -1 (NRCSL-1)

सोयाबीन की यह प्रजाति 107 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, इसकी सीमित वृद्धि, नुकीली अंडाकार पत्तियां बेंगनी फूल, काली नाभिक होती है। पीला मोजाइक वायरस तथा पोड ब्लाइट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है | चारकोल राँट, ब्राउन स्पांट, पर्पल सीड स्पाट, अल्टरनरिया लीफ स्पाट, बैक्टीरियल पक्षूल, सोयाबीन मोजाइक वायरस प्रतिरोधी एवं पत्ती खाने वाले कीटों के लिए सहनशील किस्म है। सोयाबीन की इस किस्म से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

आरएससी-11-07 (RSC-11-07)

सोयाबीन के इस किस्म कि परिपक्कता अवधि 102 दिनों की है | इसके फूल बैंगनी, नाभिक काली तथा रोये रहित होते हैं | बड ब्लाइट, बैक्टीरियल पक्षूल, टारगेट लीफ स्पाट, चारकोल राँट, एवं तना मक्खी के लिए प्रतिरोधी तथा रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के लिए मध्यम प्रतिरोधी है | तना छेदक, पर्ण भक्षी कीटों की प्रतिरोधी किस्म है |सोयाबीन की इस किस्म से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

आरएससी-10-46 (RSC-10-46)

सोयाबीन की इस किस्म की परिपक्कता अवधि 98-103 दिन है। अर्ध–सीमित वृद्धि, बैंगनी फूल तथा काली नाभिक इस किस्म की पहचान है| यह किस्म पीला मोजाइक वायरस, चारकोल राँट, ब्लाइट, बैक्टीरियल पक्षूल, लीफ स्पांट के साथ–साथ तना छेदक एवं पर्णभक्षी कीटों के लिए प्रतिरोधक है | सोयाबीन की इस किस्म से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

एएमएस 2014-1 (AMS 2014-1)

सोयाबीन की यह किस्म 100 से 105 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। अर्ध-सीमित नुकीली अंडाकार पत्तियां, बैंगनी फूल, भूरी नाभिक इस किस्म की पहचान है। इंडियन बड ब्लाइट, बैक्टीरियल पक्षूल, बैक्टीरियल ब्लाइट, अल्टरनरिया लीफ स्पांट, चारकोल राँट के लिए प्रतिरोधी तथा अन्य जैविक कारक जैसे पाँड ब्लाइट, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के लिए मध्यम प्रतिरोधी है | तना मक्खी चक्र भृंग के लिए मध्यम प्रतिरोधी है | सोयाबीन की इस किस्म से 24 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

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