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शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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मूंगफली की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान बुआई से पहले करें यह काम 

मूंगफली की बुआई हेतु कृषि सलाह

देश के अधिकांश क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बुआई का समय हो गया है। खरीफ फसलों में मूँगफली प्रमुख तिलहन फसल है। ऐसे में किसान मूँगफली की पैदावार कैसे बढ़ा सकते हैं इसको लेकर कृषि विभाग ने किसानों के लिए सलाह जारी की है जिसे अपनाकर किसान कम लागत में मूँगफली की अधिक पैदावार प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

मूँगफली की फसल में बुआई से लेकर कटाई तक कई तरह के कीट-रोग लगते हैं, इनमें कई कीट रोगों का उपचार तो किसान बीज की बुआई से पहले ही कर सकते हैं। मूँगफली फसल को कीट रोगों से बचाने के लिए किसानों को खरीफ के मौसम में बीजों का उपचार आवश्यक रूप से करना चाहिए।

मूँगफली की फसल में लगते हैं यह कीट एवं रोग

ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) श्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली खरीफ में उगाई जाने वाली एक प्रमुख तिलहनी फसल है। मूंगफली की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से दूसरे सप्ताह तक की जाती है। मूंगफली उत्पादन में बढोतरी के लिए उन्नत शस्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों व रोगों से बचाना भी अति आवश्यक है। मूंगफली की फसल में दीमक, सफेद लट, गलकट, टिक्का (पत्ती धब्बा) व विषाणु गुच्छा आदि कई अन्य हानिकारक कीट व रोगों का प्रकोप होता हैं। इनमें से सफेद लट व गलकट (कॉलर रॉट) रोग के कारण फसल को सर्वाधिक हानि होती हैं। मूंगफली की फसल को कीटों व रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार बीजोपचार करें। बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।

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किसान इस तरह बचाएँ मूँगफली को गलकट रोग से 

कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ.जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि गलकट रोग के कारण पौधे मुरझा जाते हैं। ऐसे पौधों को उखाड़ने पर उनके स्तम्भ मूल संधि (कॉलर) भाग व जड़ों पर फफूंद की काली वृद्धि दिखाई देती हैं। इस रोग से समुचित बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करना चाहिए।

किसान भाई बुवाई से पहले 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 500 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में मिला दें । साथ ही आरजी 425 व आरजी 510 आदि रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें। कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम तथा थाईरम 3 ग्राम अथवा मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। रासायनिक फफूंदनाशी के लिए 1.5 ग्राम थाईरम एवं 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रतिकिलो बीज को उपचारित करें।

जमीन में रहने वाले कीटों से मूँगफली को कैसे बचाएँ

सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि मूंगफली की फसल को भूमिगत कीटों के समन्वित प्रबंधन के लिए बुवाई से पूर्व भूमि में 250 किलो नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मिली प्रतिकिलो बीज से बीजापचार करें। साथ ही ब्यूवेकिया बेसियाना का 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बुवाई के 15 दिन बाद डालें।

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विशेषकर जिन क्षेत्रों सफेद लट का प्रकोप होता है वहां फसल को सफेद लट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मि.ली. प्रति किलो बीज या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडीजी 2 ग्राम प्रति किलो बीज अथवा  इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 3 मिली प्रति किलो बीज अथवा क्यूनालफॉस 25 ईसी 25 मिली प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें। बीज को 2 घण्टे छाया में सुखाकर बुवाई करें।

बीज उपचार से होती है पैदावार में वृद्धि

कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) श्री कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए। घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलाए। इस मिश्रण से एक हैक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलाएं कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जाएं। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लें। किसान भाई फफूंदनाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही राइजोबियम जीवाणुकल्चर से बीजों को उपचारित करें।

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