back to top
28.6 C
Bhopal
मंगलवार, जनवरी 14, 2025
होमकिसान समाचारमूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान करें यह काम 

मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान करें यह काम 

मूंगफली खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली मुख्य फसलों में से एक है। मूंगफली की बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से द्वितीय सप्ताह तक की जाती है। ऐसे में किसान मूंगफली का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ा सके इसके लिए ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म द्वारा किसानों के लिए सलाह जारी की गई है। तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मूंगफली उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए उन्नत शष्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों व रोगों से बचाना भी अति आवश्यक है।

मूंगफली की फसल में दीमक, सफेद लट, गलकट, टिक्का (पत्ती धब्बा) व विषाणु गुच्छा आदि कई अन्य हानि कारक कीट व रोगों का प्रकोप होता हैं। इनमें से सफेद लट व गलकट (कॉलर रॉट) रोग के कारण फसल को सर्वाधिक हानि होती हैं। मूंगफली की फसल को कीटों व रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार बीजोपचार करें एवं बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहने।

मूंगफली को गलकट रोग से बचाने के लिए क्या करें?

तबीजी फार्म के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि गलकट रोग के कारण पौधे मुरझा जाते हैं। ऐसे पौधो को उखाड़ने पर उनके स्तम्भ मूल संधि (कॉलर) भाग व जड़ों पर फफूंद की काली वृद्धि दिखाई देती हैं। इस रोग से समुचित बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करना चाहिए। किसान भाई बुवाई से पहले 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 500 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में मिलावें। साथ ही कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत + थाइरम 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। अगर रासायनिक फफूंद नाशी का उपयोग कम करना हो तो 1.5 ग्राम थीरम एवं 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रति किलो बीज को उपचारित करें।

यह भी पढ़ें:  अब डीडी किसान चैनल पर AI एंकर देगा खेती-किसानी की जानकारी, पचास भाषाओं में करेंगे बात

कीटों से बचाने के लिए ऐसे करें बीज उपचार

कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी ने बताया कि मूंगफली की फसल को भूमिगत कीटों के समन्वित प्रबंधन के लिए बुवाई से पूर्व भूमि में 250 किलो नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से डालें एवं इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मिली प्रति किलो बीज से बीजोपचार करें। साथ ही ब्यूवेकिया बेसियाना का 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बुवाई के 15 दिन बाद डालें। विशेष कर जिन क्षेत्रों में सफेद लट का प्रकोप होता है। वहां फसल को सफेद लट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मिली प्रति किलो बीज या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडीजी 2 ग्राम प्रति किलो बीज या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. की 3 मिली प्रति किलो बीज या क्यूनालफॉस 25 ईसी 25 मिली प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें व बीज को 2 घण्टे छाया में सुखाकर बुवाई करें।

राइजोबियम कल्चर से बीज उपचार करने पर होती है उत्पादन में वृद्धि

कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं। बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए तथा घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलायें। इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोये जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जायें। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लें। किसान भाई फफूंदनाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही राइजोबियम जीवाणु कल्चर से बीजों को उपचारित करें।

यह भी पढ़ें:  किसानों को बारिश एवं ओला वृष्टि से हुए फसल नुकसान का जल्द मिलेगा मुआवजा, मुख्यमंत्री ने गिरदावरी के दिये आदेश
download app button
whatsapp channel follow

Must Read

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News