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सोमवार, सितम्बर 9, 2024
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बाजरे का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान करें यह काम 

बाजरा खरीफ सीजन में बोई जाने वाली मुख्य फसलों में से एक है, खासकर राजस्थान में बाजरा की खेती प्रमुखता से की जाती है। बाजरा मनुष्य के भोजन एवं पशुओं के हरे और सूखे चारे के लिये अति महत्वपूर्ण फसल है। ऐसे में किसान बाजरा का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ा सकें इसके लिए ग्राहृय परीक्षण केन्द्र, तबीजी फार्म के द्वारा सलाह जारी की गई है। ग्राहृय परीक्षण केन्द्र, तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) मनोज कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि बाजरा की बुवाई का उपयुक्त समय मध्य जून से जुलाई के तृतीय सप्ताह तक है। फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हेतु उन्नत शष्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों व रोगों से बचाना भी अतिआवश्यक है।

बाजरे की फसल को रोगों से बचाने के लिए क्या करें?

तबीजी फार्म के उप निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि बाजरा की फसल में तुलासिता, हरित बाली रोग, अरगट रोग तथा दीमक व सफेद लट कीट आदि का प्रकोप होता हैं। बाजरा की फसल को कीटों व रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें, साथ ही बीजोपचार करें। किसान भाई बीजों को एफ.आई.आर क्रम में अर्थात फफूंद नाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही जीवाणु कल्चर से बीजों को उपचारित करें एवं बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहने।

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हरित बाली या जोगी रोग से बचाव के लिए क्या करें?

कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि तुलसिता रोग एक फफूँद जनित रोग है जिसे राजस्थान में हरित बाली या जोगिया रोग आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग से बचाव हेतु रोग प्रतिरोधी किस्मों जैसे-एचएचबी 67 इम्प्रूवड, राज 171, आरएचबी 177, आरएचबी 173, आरएचबी 121, आरएचबी 223, आरएचबी 233, आरएचबी 234, आरएचबी 228 आदि का उपयोग करें साथ ही बीजों को बुआई से पूर्व 6 ग्राम एप्रोन एस.डी. 35 प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बुवाई करें।

अरगट रोग से बचाव के लिए क्या करें?

किसान अरगट रोग से बचाव के लिए बीजों को नमक के 20 प्रतिशत घोल (एक किलो नमक 5 लीटर पानी) में लगभग 5 मिनट तक डुबो कर हिलायें। तैरते हुए हल्के बीजों एवं कचरे को निकालकर जला दें तथा शेष बचे हुए बीजों को साफ पानी से धोकर, अच्छी प्रकार से छाया में सुखा कर 3 ग्राम थाइरम प्रतिकिलो बीज की दर से उपचारित करके बुवाई करें।

बाजरे को दीमक, सफेद लट और तना मक्खी से बचाने के लिए क्या करें?

कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. दिनेश स्वामी के मुताबिक बाजरे की फसल को दीमक, सफेद लट, तना मक्खी व तना छेदक से बचाने के लिए बुवाई से पूर्व बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस. की 8.75 मि.ली. अथवा क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यू.डी.जी. 7.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से आवश्यकतानुसार पानी में घोल बनाकर बीजों पर समान रुप से छिड़काव कर उपचारित कर छाया में सुखाने के बाद 2 घण्टे के अन्दर ही बुवाई करें।

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एजोटोबेक्टर से बीज उपचार करने पर बढ़ता है बाजरा का उत्पादन

कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) डॉ. कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पहले बीजों को एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं। बीजों को एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने के लिए 500 मिली लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए तथा घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम जीवाणु कल्चर मिलायें। इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जायें। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम करें।

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