किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा परम्परागत फसलों को छोड़ अन्य फसलों की खेती पर जोर दिया जा रहा है। इस कड़ी में बिहार के कृषि सचिव संजय अग्रवाल लगभग 50 पदाधिकारियों के साथ रविवार को नालंदा पहुँचे। यहाँ उन्होंने बिहारशरीफ़ प्रखंड के उमेद नगर गांव के किसान अखिलेश कुमार के खेत में लगे बेबी कॉर्न को देखा। वहाँ उपस्थित गाँव के सैकड़ों किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं की जानकारी ली। किसानों को प्रेरित करते हुए कृषि सचिव ने कहा कि आमदनी दोगुनी करनी है तो बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न जैसी फसलों की खेती करें।
किसानों को बड़ी राहत देते हुए कृषि सचिव ने कहा कि खरीफ सीजन में इन दोनों फसलों की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध कराया गया था। परंतु इस वर्ष बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती करने वाले किसानों को निःशुल्क बीज दिया जाएगा, वहीं अगले साल 50 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध कराया जायेगा।
कृषि सचिव ने बताये बेबी कॉर्न के फायदे
रविवार को किसान के खेत में तैयार बेबी कॉर्न की कृषि सचिव ने अपने हाथों से हार्वेस्टिंग की। किसानों के सामने उसे कच्चा खाते हुए कहा कि इसे कच्चा भी खाया जाता है। यह हमारे शरीर के लिए बहुत की फायदेमंद है, इसमें सभी तरह के विटामिन्स, मिनरल्स और फ़ाइबर भरपूर मात्रा में हैं। बेबी कॉर्न की खेती कर रहे किसान अखिलेश कुमार और उनकी पत्नी से बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाते हुए वहाँ मौजूद महिला किसानों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न के मिलते हैं अच्छे भाव
उन्होंने कहा कि बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती से एक हेक्टेयर में लगभग 18 से 20 क्विंटल की उपज प्राप्त होती है। स्थानीय बाजार में 100 रुपये प्रति किलो और जिले के बाहर 80 रुपये प्रति किलो तक का दाम मिल जाता है। वहीं फसल अच्छी रही तो इसके अधिक मूल्य भी मिल सकते हैं। स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की कटाई दो महीने में ही हो जाती है। हार्वेस्टिंग के बाद पौधे के डंठल और अवशेष पशुओं के लिए हरा चारा के रूप में उपयोग किया जाता है।
उनकी बातों से प्रभावित होकर गाँव की 250 महिला किसानों ने इस बार बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती से जुड़ने की बात कही है। गाँव के किसानों ने मार्केटिंग की समस्या को कृषि सचिव के सामने रखा। इस पर कृषि सचिव ने कहा कि अब मार्केटिंग की समस्या नहीं है इसे बेचने के लिए आपको कहीं दूर नहीं जाना है। कृषि विभाग को सूचित कीजिए, खरीददार आपके सामुदायिक भवन में चला आएगा। घर बैठे अपने उत्पाद को बड़ी ही आसानी से बेच सकेंगे।