इस वर्ष 20 अगस्त तक देश के 33.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ मूंग की बुआई की जा चुकी है, जो की पिछले वर्ष से लगभग 3 लाख हेक्टेयर अधिक है। ऐसे में किसान मूंग की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकें इसके लिए फसल को कीट-एवं रोगों से बचाना ज़रूरी है। मूँग की फसल में इस समय कई स्थानों पर सफेद मक्खी कीट का प्रकोप देखा गया है, जिसका समय पर नियंत्रण करना ज़रूरी है।
सफेद मक्खी कीट की पहचान
इसके शरीर और दोनों पंखों पर सफेद से पीले रंग का मोमी स्राव निकलता रहता है। यह गर्म और सूखी परिस्थितियों में पनपती है। मादा कीट द्वारा पत्तियों की निचली सतह पर अंडे दिए जाते हैं। नवजात पीले से सफेद रंग के, सपाट, अंडाकार और हल्के-पीले होते हैं। इस कीट के शिशु व वयस्क पत्तियों की निचली सतह से रस चूसने के साथ ही हनीड्यू उत्सर्जित करते हैं, जिससे काली फफूँदी उगने लगती है। इस कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित होती है। सफेद मक्खी पीले मोजैक वायरस को भी फैलाती है।
मूंग में सफेद मक्खी का नियंत्रण
किसानों को मूंग की फसल में सफेद मक्खी के प्रकोप को रोकने के लिए मक्का या ज्वार की फसल मूंग के चारों ओर लगाना चाहिए, जिससे इस कीट का नियंत्रण कम होता है। इसके अलावा किसान सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. दवा का 3.0 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज से बीजोपचार करके बुआई करें। इसके अलावा खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. एक मिली प्रति 3 लीटर पानी या डायमिथेएट 30 ई.सी. एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।