किसान अभी इस तरह करें कपास की फसल में सफेद मक्खी पर नियंत्रण

कपास की फसल में सफेद मक्खी का नियंत्रण

कपास की फसल में सफेद मक्खी की संख्या में बढ़ोतरी के मद्देनजर किसानों को सतर्क रहने की आवश्यकता है | अभी के मौसम में कपास की फसल में सफ़ेद मक्खी कीट प्रमुख है, यह कीट कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है ऐसे में संक्रमण को आगे बढऩे से रोकने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, सिरसा और बेयर क्रॉप साइंस द्वारा सुझाए गए उपायों सहित एक एडवाइजरी जारी की है | सफेद मक्खी पत्ती कर्ल वायरस रोग के प्रसार में एक वेक्टर के रूप में कार्य करती है और यह एक प्रवासी कीट है, जिससे इस पर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस कीट के अत्यधिक हमले से हरे कपास के पत्ते काले हो जाते हैं, इस प्रकार प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है और उपज और उत्पाद की गुणवत्ता में काफी कमी आती है।

कैसे करें सफ़ेद मक्खी कीट की पहचान

यह छोटा सा तेज उडऩे वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीड़ा है। छोटा एवं हल्के होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक दूसरे से स्थान तक आसानी से चले जाते हैं। इसके अंडाकार शिशु पत्तों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं जिन पर काली फंफूदी लग जाती है। यह कीड़े  रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं।

अगस्त-सितंबर में सफेद मक्खी नियंत्रण इन दवाओं से करें

मध्य अगस्त के बाद कीट विकास नियामक कीटनाशकों जैसे डाईफेन्थाईयूरान (पोलो) नामक दवा की 200 ग्राम मात्रा, फ्लोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी दवा की 80 ग्राम मात्रा, डाईनॉटिफेयूरान 20 प्रतिशत एसजी की 60 ग्राम मात्रा और क्लोथियानिडिन 50 डब्ल्यूजी की 20 ग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं। ये कीटनाशक सफेद मक्खी के खिलाफ प्रभावी हैं और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं। सीजऩ के बाद यानी 15 सितंबर के बाद सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए इथिऑन की 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से सीमित मात्रा में उपयोग करने की भी सलाह दी गई है।

अगस्त-सितंबर में सफेद मक्खी की आबादी सफेद मक्खी की घटनाएं इकनॉमिक थ्रेसहोल्ड लेवल (ईटीएल) को पार कर जाने पर, डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी या ऑक्सिडेमेटन मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी और नीम आधारित कीटनाशक (निम्बीसीडीन या अचूक) की एक लीटर की मात्रा को 250 लीटर पानी के साथ मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं। इसके अलावा, सफेद मक्खी की निम्फल जनसंख्या पर काबू पाने के लिए स्पाइरोमेसिफेन (ओबेरोन) 22.9 प्रतिशत एससी की 200 मि.ली. या पायरीप्रोक्सीफेन (डायटा) 10 प्रतिशत ईसी नामक दवा की 400 मि.ली. मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 से 250 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं। एक ही कीटनाशक का लगातार छिडक़ाव नहीं किया जाना चाहिए।

एडवाइजरी में यह भी बताया गया है कि यदि अंडे और निम्फ की अधिक आबादी के कारण पत्तियों के नीचे थैली कवक दिखाई देता है, तो किसान स्पाइरोमेसिफेन की 250 मि.ली. या पायरीप्रोक्सीफेन दवा की 400 से 500 मि.ली. या ब्यूप्रोफेजिन 25 एससी की 400 मि.ली. मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं। यदि सफेद मक्खी और थ्रिप्स का मिश्रित संमक्रमण देखने को मिलता है, तो किसानों को डाईफेन्थाईयूरान नामक दवा की 200 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से उपयोग करना चाहिए और कीटनाशकों का मिश्रण नहीं करना है। यदि सफेद मक्खी और लीफहॉपर का मिश्रित संक्रमण दिखाई दे तो किसानों को फ्लोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी दवा की 80 ग्राम मात्रा या डाईनॉटिफेयूरान 20 प्रतिशत एसजी की 60 ग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं।

कपास की फसल सफेद मक्खी 70 दिन बाद तक नियंत्रण

बुवाई के 70 दिन बाद तक, किसान एक इमल्शन के दो स्प्रे कर सकते हैं, जिसमें एक प्रतिशत नीम का तेल और 0.05 से 0.10 प्रतिशत कपड़े धोने का डिटर्जेंट, या निम्बीसीडीन (0.03 प्रतिशत या 300 पीपीएम) शामिल है। यह इमल्शन एक लीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद एक अन्य इमल्शन के दो स्प्रे करने होंगे, जिसमें कैस्टर ऑयल और 0.05 से 0.10 प्रतिशत कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट शामिल है। किसानों को पूरे सीजन के दौरान, जब भी आवश्यक हो, नीम आधारित कीटनाशकों का प्रयोग करते रहना चाहिए।

किसान समाधान के YouTube चेनल की सदस्यता लें (Subscribe)करें

सम्बंधित लेख

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Stay Connected

217,837FansLike
500FollowersFollow
865FollowersFollow
54,100SubscribersSubscribe

Latest Articles

ऐप इंस्टाल करें