देश में धान की फसल की बुआई का काम पूरा हो गया है, अब किसानों को धान की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए फसलों की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा ताकि फसल को समय पर कीट रोगों से बचाया जा सके। इसके लिए किसानों को लगातार अपने खेतों की निगरानी करनी होगी। इस समय धान की फसल में तना छेदक (स्टेम बोरर) कीट का प्रकोप हो सकता है।
तना छेदक कीट की सुंडियाँ ही धान की फसल को अधिक नुक़सान पहुँचाती हैं तथा वयस्क पतंगे फूलों आदि पर निर्वाह करते हैं। फसल की प्रारंभिक अवस्था में इसके प्रकोप से पौधों का मुख्य तना सूख जाता है। इसके डेड हार्ट (सुखी हुई पत्ती) या हाईट डेड कहते हैं। पकने की अवस्था पर बालियाँ सूखकर सफेद दिखाई देने लगती है। यह धारीदार गुलाबी पीले या सफेद रंग का कीट होता है।
इस तरह पहुँचाता है धान की फसल को नुक़सान
तना छेदक कीट की प्रौढ़ मादा पत्ती के ऊपरी सतह पर समूह में अंडे देती है। जिसके बाद इन अंडों से 5-8 दिन बाद लार्वा निकलता है। जो 2-3 दिन तक पत्ती के हरे उत्तक को खा जाता है। इसके बाद तने के अंदर ऊतकों को काटते व चबाते हुए ऊपर बढ़ता है।जिससे जड़ से तने में ऊपर तक पोषक तत्वों एवं जल का प्रवाह रुक जाता है।
जिसके कारण पौधों का बीज वाला भाग सूख जाता है। जिसे सफेद बाली कहते हैं। यदि इस का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में हो जाता है तो बाली नहीं बन पाती है तथा बाली के बाद प्रकोप होने पर बाली पूरी तरह सूख जाती है।
किसान इस तरह करें तना छेदक कीट का नियंत्रण
तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए प्रकाश प्रपंच के उपयोग से तना छेदक कीट की संख्या पर निगरानी रखी जा सकती है। साथ ही किसानों को तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप का प्रयोग करना चाहिए। किसान इन में से किसी एक रासायनिक दवा का छिड़काव करके भी तना छेदक कीट का नियंत्रण कर सकते हैं:-
- डाईमेकान फ़ॉसफ़ामिडान मिडान (85 ई.सी.) 590 मिली/हेक्टेयर या मोनोक्रोटोफ़ॉस (36 ई.सी.) 1.5 लीटर/हेक्टेयर या क्लोरोपाइरीफ़ॉस (20 ई.सी.) 2.5 लीटर/हेक्टेयर 500 से 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं।
- कार्बोफ़्यूरान 3 जी या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी या फिप्रोनिल 0.3 जी 25 किलोग्राम/ हेक्टेयर का प्रयोग करें। या क्विनलफ़ॉस 25 ई.सी. 2 मिली/लीटर या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी 1 मिली/लीटर का छिड़काव कर सकते हैं।