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किसान खेती के लिए करें अधिक जीएसवीए वाली फसलों का चयन, सरकार दे रही है अनुदान

प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान को बढ़ाने के लिए कृषि निदेशक ने किसानों से अधिकतम जीएसवीए वाली फसलों की खेती करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान और प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को परंपरागत फसलों के अलावा अन्य फसलों के उत्पादन पर जोर दे रही है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ाने के लिए किसानों से अधिकतम जीएसवीए वाली फसलों की खेती के लिए चयन करने का आग्रह किया है। 20 जून के दिन प्रदेश के कृषि निदेशक की अध्यक्षता में हुई कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में उन्होंने किसानों से यह आग्रह किया।

उन्होंने बैठक में कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को साकार करने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि क्षेत्र प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी को रोजगार प्रदान करता है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देता है।

जीएसवीए फसलें क्या होती है?

कृषि निदेशक ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र के 20 प्रतिशत योगदान में से फसल उत्पादन का योगदान 9.3 प्रतिशत है। जहाँ धान और गेहूं जैसी खाद्यान्न फसलों का योगदान अधिक है, वहीं प्रति इकाई ग्रॉस स्टेट वैल्यू एडेड (जीएसवीए) उनका अपेक्षाकृत कम है। इसके विपरीत गन्ना, मक्का, दलहन फसलें जैसे उड़द, मूंग और अरहर और तिलहनी फ़सलें जैसे मूँगफली और तिल जैसी फसलों का जीएसवीए अधिक है। उच्च उपज वाली फसलें प्रति इकाई कम उत्पादन क्षेत्र में भी अधिक उत्पादकता देती हैं। साथ ही प्रसंस्करण के बाद ये उच्चतम विपणन मूल्य उत्पन्न करती हैं, जिससे राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होता है।

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किसानों को दिया जा रहा है अनुदान

बैठक में कृषि निदेशक ने कहा कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए किसानों को अधिकतम जीएसवीए वाली फसलों का चुनाव करना चाहिए और प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। सरकार विभिन्न योजनाओं जैसे त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम, नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन मिशन ऑन एडिबल आयल और नेचुरल फार्मिंग के माध्यम से इन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहन और अनुदान दे रही है।

इन योजनाओं के तहत किसानों को उत्पादन तकनीकों के अतिरिक्त प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया कि वे इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी उत्पादकता और लाभ में वृद्धि करें तथा प्रदेश की अर्थव्यव्स्था के विकास में सहयोग करें।

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