मछली पालन के नाम पर ठगी
किसानों की आय कम होने एवं आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के चलते वह अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती के साथ आय के नए स्त्रोत ढूंढ रहे हैं | इसमें पशुपालन, मछली पालन एवं बागवानी मुख्य विकल्प है | कई कंपनियां किसानों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करती है जिससे किसानों को अधिक लाभ होने की उम्मीद रहती है परन्तु कई बार कंपनियां किसानों से पैसे लेकर ठगी करके भाग जाती है | ऐसे में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है |
अभी हाल ही में कुछ अशासकीय संस्थाओं एवं फर्मों द्वारा मत्स्य कृषकों की भूमि पर तालाब निर्माण करवाकर मछली पालन का व्यवसाय करने के संबंध में प्रलोभन दिए जाने की शिकायत विभाग को मिली है। इन संस्थाओं द्वारा मत्स्य कृषकों से एक बड़ी राशि लेकर उनकी भूमि पर मछली पालन का व्यवसाय करने एवं उन्हें एक निश्चित मासिक आय की भी लालच दी जा रही है। कान्ट्रेक्ट फार्मिंग या राशि दोगुना करने का प्रस्ताव अशासकीय संस्थाओं एवं फर्मों द्वारा कृषकों को दिया जा रहा है।
किसान प्रलोभन से रहें सावधान
छत्तीसगढ़ मछली पालन विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरो एवं प्रचार सामग्रियों से ज्ञात हुआ है कि कुछ संस्थाओं के द्वारा किसानों से मत्स्य पालन कार्य के लिए बड़ी धनराशि लेकर अंनुबंध कृषि (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ) एवं मत्स्य पालन कार्य में भूमि तथा धनराशि का निवेश करने के लिए प्रचार-प्रसार करते हुए अधिक एवं निश्चित मासिक आय का प्रलोभन दिया जा रहा है।
किसान अनुबंध कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के समय रहे सावधान
संचालक मछली पालन ने आमजन से अपील की है कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति अथवा संस्थान के द्वारा दिये गए ऐसे प्रलोभन से बचें तथा इस प्रकार के अनुबंध कृषि (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) अथवा मत्स्य पालन कार्य में निवेश करने से पहले ऐसी संस्थाओं और उनके द्वारा किये रहे अनुबंध शर्तों का सतर्कतापूर्वक परीक्षण करें, और अनुबंध के वैधानिक एवं आर्थिक पक्षों का भली-भांति परीक्षण व विचार कर स्वयं के विवेक एवं व्यक्तिगत जिम्मेदारी से निर्णय लें। भविष्य में निवेशक को किसी प्रकार की क्षति या नुकसान होता है तो उसके लिए यह विभाग जिम्मेदार नहीं होगा।
किसान यह करें
मत्स्य पालन कार्य में निवेश करने से पहले ऐसी संस्थाओं और उनके द्वारा किये रहे अनुबंध शर्तों का सतर्कतापूर्वक परीक्षण करें, और अनुबंध के वैधानिक एवं आर्थिक पक्षों का भली-भांति परीक्षण व विचार कर स्वयं के विवेक एवं व्यक्तिगत जिम्मेदारी से निर्णय लें। यदि किसानों को इस तरह के अनुबंध के लिए कोई कंपनी कहती है और इसे सरकार द्वारा संचालित योजना बताती है तो ऐसी स्थिति में किसान अपने यहाँ के कृषि अधिकारीयों या जिले के मछलीपालन विभाग, या जिले के कृषि विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर जानकारी ले सकते हैं | किसान जल्दबाज़ी में निर्णय न लें | किसान कार्यालय, सहायक संचालक मछली पालन या जिले के कार्यालय के किसी भी विभागीय तकनीकी अधिकारी से संपर्क कर सकता है |