पशुपालन को लाभ का धंधा बनाने के साथ ही दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा पशुपालकों के लिए नई योजना तैयार की जा रही है। जिसका लाभ राज्य के बॉर्डर से लगे जिलों को मिलेगा। दरअसल डेयरी विभाग स्टेट बॉर्डर के जिलों के दुग्ध संघों को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए काम कर रहा है। इसके लिए गुजरात बॉर्डर से सटे चार जिला दुग्ध संघ उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर और रानीवाड़ा (जालौर) के लिए एक विशेष पॉलिसी बनाई जा रही है।
इन जिलों के रजिस्टर्ड दुग्ध उत्पादक पशुपालकों के कल्याण तथा डेयरी प्लांट्स के अपग्रेडेशन के लिए विशेष कार्य-योजना बनाई गई है। डेयरी, पशुपालन, गोपालन एवं देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने इस कार्य-योजना की क्रियान्विति के लिए राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन की एमडी श्रुति भारद्वाज को निर्देशित किया है।
दुग्ध उत्पादक किसानों को मिलेगा अतिरिक्त बोनस
स्टेट बॉर्डर पॉलिसी के तहत इन जिलों के दुग्ध उत्पादक पशुपालक किसानों को मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना में मिलने वाले 5 रुपए अनुदान के अतिरिक्त दो रुपए प्रति लीटर बोनस देने की योजना है। जिससे इन जिले के पशुपालकों को 7 रुपए प्रति लीटर की दर से बोनस राशि मिलेगी। इन चारों जिला संघों में रोजाना औसतन एक लाख 75 हजार किलो दूध का संकलन होता है। इसके तहत कुल 20 हजार 786 दुग्ध उत्पादक किसान लाभान्वित होंगे। इनमें उदयपुर डेयरी के 11 हजार 447, रानीवाड़ा-जालौर के 5160, बाड़मेर के 2226 तथा बांसवाड़ा डेयरी संघ के 1953 पशुपालक किसान लाभान्वित होंगे।
14 रुपए में होगा 5 लाख का बीमा
इस योजना के तहत उक्त चार दुग्ध संघों के रजिस्टर्ड पशुपालक किसान के कुल चार सदस्यों का महज 370 रुपए यानी कुल प्रीमियम की 10 फीसदी राशि में ढाई लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा होगा। इसके अलावा केवल 14 रुपए में पांच लाख रुपए का दुर्घटना बीमा किया जाएगा। इसमें बीमाधारक की हादसे में मौत होने पर आश्रित परिवार को पांच लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। यदि हादसे में बीमाधारक अपंग हो जाता है तो उसे ढाई लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। योजना में शेष 90 फीसदी प्रीमियम राशि आरसीडीएफ व संबंधित दुग्ध संघ वहन करेगा।
शादी के लिए दिए जाएंगे 21,000 रुपए
डेयरी मंत्री ने बताया कि रजिस्टर्ड पशुपालक किसानों की बेटी के विवाह में भी आरसीडीएफ अपना सामाजिक दायित्व निभाएगा। इसके तहत “सरस लाडो मायरा योजना” इन जिलों में लागू करने की योजना है। सरकार के सहयोग से इन जिलों के रजिस्टर्ड करीब 20 हजार से ज्यादा दुग्ध उत्पादक किसानों की बेटियों की शादी में 21 हजार रुपए का पारंपरिक मायरा दिया जाएगा। यह योजना सामाजिक परंपरा को निभाने के साथ-साथ आर्थिक सहारा भी प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि यह योजना केवल आर्थिक मदद नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का माध्यम है। इसका उद्देश्य लिंगानुपात सुधारना, बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देना और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोकना है। इससे किसानों विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को राहत मिलेगी।
बायोगैस प्लांट के लिए मिलेगा अनुदान
इसके अलावा इन जिला संघों के रजिस्टर्ड दुग्ध उत्पादक किसानों के घरों में आरसीडीएफ के सहयोग से फ्लैक्सी बायोगैस प्लांट भी स्थापित किए जाएंगे। करीब 37 हजार रुपए की कीमत के इस बायो गैस प्लांट पर 29 हजार रुपए का अनुदान लाभार्थी को मिलेगा। इससे पशुपालक को हर महीने लगभग दो एलपीजी गैस सिलेंडर जितनी बायोगैस प्राप्त होगी।
इन बॉर्डर स्टेट के दुग्ध संघों का मुनाफा बढ़ाने के लिए मार्केटिंग की विशेष कार्य-योजना बनाई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक जिला दुग्ध संघ में एक उच्च शिक्षित मार्केटिंग कंसलटेंट नियुक्त किया जाएगा। इस कंसलटेंट के वेतन व अन्य खर्च आरसीडीएफ वहन करेगा। इसके अलावा दुग्ध उत्पादक को मूल राशि का भुगतान भी समिति की बजाय सीधे उनके खाते में हस्तांतरित करने की योजना है। चारों दुग्ध संघों के प्रोसेसिंग प्लांट्स की उत्पादन क्षमता बढाने के लिए इन्हें अपग्रेड किया जाएगा। इस कार्य में खर्च होने वाली राशि आरसीडीएफ के पुनर्वास फंड से जारी की जाएगी।
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