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बुधवार, अप्रैल 24, 2024
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धान की बुआई से पहले किसान जरुर करें ये काम

धान बीजों का बीज उपचार

मानसूनी वर्षा के साथ ही किसानों ने अपने खेतों में धान की नर्सरी डालना एवं बुआई का काम शुरू कर दिया है। ऐसे में धान की अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके इसके लिए किसानों को बुआई से पहले धान के बीजों का उपचार करना ज़रूरी है। बीज उपचार से जहां धान में कीट रोगों के लगने की संभावना कम होती है वहीं इसमें लगने वाले कीटनाशकों एवं औषधीय के उपयोग की कमी से इसकी लागत भी कम होती है जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है। इसके अलावा बीज उपचार करने से किसानों को स्वस्थ्य बीज प्राप्त होते हैं।

क्यों आवश्यक है धान का बीज उपचार

खेत में धान की बुआई के कुछ दिनों के बाद अंकुरण दिखता है लेकिन बाद में पौधों की संख्या कम हो जाती है यह इसलिये होता है क्योंकि जब हम बीज की खेत में बुआई करते है, उस समय मटबदरा एवं कीड़े से प्रभावित बीज खेत में पहुंचते है एवं अंकुरित भी हो जाते है तब हमें लगता है कि पौध संख्या अच्छी है लेकिन मटबदरा एवं कीड़े से प्रभावित बीज से अंकुरित पौधा कुछ दिन बाद मर जाता है। क्योंकि मटबदरा एवं कीड़े से प्रभावित बीज में पौध को जड़ के विकसित होने तक भोजन नहीं मिल पाती है। इसलिये हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ्य बीज का बोआई करना बहुत जरूरी है।

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17 प्रतिशत नमक के घोल से करें बीज उपचार

किसानों को बुआई के लिए स्वस्थ्य हष्ट पुष्ट बीज प्राप्त करने के लिये 17 प्रतिशत नमक घोल से धान बीज का उपचार करना चाहिए। इसके लिये 10 लीटर पानी में 1 किलो 700 ग्राम नमक को घोले या ग्राम स्तर पर एक आलू या एक अण्डा की व्यवस्था करें पहले टब या बाल्टी में पानी ले फिर उसमें आलू या अण्डा डाले आलू एवं अण्डा बर्तन के तल में बैठ जायेगी लेकिन जैसे-जैसे नमक डालकर घोलते जायेंगे। उपर आते जायेगा और 17 प्रतिशत घोल तैयार हो जायेगा तब अण्डा या आलू पानी के ऊपरी सतह पर तैरने लगेगा। 

इसके बाद अण्डा या आलू को पानी से निकाल कर बीज को इस घोल में डाले और हाथ से हिलाये एवं 30 सेकण्ड के लिये छोड़ दें। ऐसा करने से धान का बदरा, मटबदरा, कटकरहा धान, खरपतवार के बीज तथा कीड़े से प्रभावित बीज पानी के उपर तैरने लगेंगे। उसे अलग बर्तन में रखे और जो बीज बर्तन के नीचे तल में बैठ गया है उसे अलग कर साफ पानी से धोये तत्पश्चात् तुंरत बुआई करना है तो खेत में बुआई करें या फिर धूप में सूखाकर सुरक्षित भंडारण करें। ऐसा करने से हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ्य बीज प्राप्त हो जाते हैं। वहीं कटकरहा, बदरा, मटबदरा, कीट से प्रभावित बीज एवं खरपतवार के बीज आसानी से अलग हो जाते है।

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