यहाँ के किसान अब धान की खेती के साथ ही कर सकेगें कॉफी की खेती

कॉफी की खेती

आज के समय में कॉफ़ी पीने वालों की संख्या देश में बढती जा रही है परन्तु अधिक मांग के बाबजूद भी कॉफ़ी का उत्पादन देश में सभी जगहों पर नहीं किया जा सकता है | कॉफ़ी का उत्पादन मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों के ऊपर निर्भर करता है | अभी देश में कॉफ़ी की खेती मुख्य रूप से दक्षिणी भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु, केरल, ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के अरकू वैली में की जाती है | अब छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर अंचल में कॉफी की खेती की शुरुआत की गई है | बस्तर का मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में जिले के दरभा के पास कोलेंग मार्ग पर वर्ष 2017 में लगभग 20 एकड़ जमीन पर कॉफी का प्रायोगिक तौर पर कॉफी का प्लांटेशन किया गया था जो सफल रहा | अब यहाँ किसानों को धान की खेती के साथ-साथ कॉफी और हल्दी की खेती से भी जोड़ कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है | 

कॉफी की इन किस्मों का होगा उत्पादन

कृषि विश्वविद्यालय कुम्हरावण्ड के हार्टिकल्चर के प्रोफेसर और अनुसंधान अधिकारी डॉ. के.पी. सिंह ने बताया कि बस्तर में दो प्रजातियों अरेबिका और रूबस्टा कॉफी के पौधे लगाए गए हैं। बस्तर की कॉफी की गुणवत्ता ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के अरकू वैली में उत्पादित किए जा रहे कॉफी के समान है। उन्होंने कहा कि अरेबिका प्रजाति के पौधों से कॉफी के बीजों का उत्पादन प्रारंभ हो गया है, जबकि रूबस्टा से अगले वर्ष से उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अरेबिका प्रजाति के पौधों से प्राप्त बीज का ओडिसा के कोरापुट में प्रोसेसिंग कराई गई है। डॉ. सिंह ने बताया कि दो प्रकार से कॉफी का उत्पादन की बिक्री की जाएगी। एक फिल्टर कॉफी होगी, जो स्वाद में बेहतर है, दूसरी ग्रीन कॉफी होगी।

कॉफी की खेती से किसानों की आय में होगी वृद्धि

हार्टिकल्चर कॉलेज के डीन डॉ. एचसी नंदा ने बताया कि कॉफी का एक पौधा चार से पांच साल में पूरी तरह बढ़ जाता है। एक बार पौधा लग जाने के बाद यह 50 से 60 वर्षों तक बीज देता है। एक एकड़ में लगभग ढाई से तीन क्विंटल कॉफी के बीज का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि यहां काफी की खेती की अच्छी संभावनाएं है। इसे व्यावसायिक स्वरूप देने के लिए स्थानीय किसानों को भी जोड़ा जा रहा है। किसान कॉफी की खेती से हर साल 50 हजार से 80 हजार प्रति एकड़ आमदनी कमा सकते हैं।

जिले में कॉफ़ी की खेती के साथ-साथ अंतरवर्ती फसलों दलहन-तिलहन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इन फसलों को लेने का मुख्य उद्देश्य कम उपजाऊ जमीन पर, कम खाद-पानी में बहुत अच्छे से उगाई जा सकती है। कॉफी उत्पादन से पर्यावरण में हरा-भरा वातावरण के साथ-साथ ग्रामीणों के आय का साधन भी उपलब्ध होगा।

ब्रांडिंग के साथ बाजार में बेचा जायेगा

सरकार द्वारा सिर्फ कॉफ़ी की खेती को ही बढ़ावा नहीं दिया जायेगा बल्कि इसे ब्रांड बनाकर बाजार में बेचने के लिए उत्पाद भी तैयार किया जायेगा | इन उत्पादों का नाम बस्तर कॉफी व बस्तर हल्दी दिया गया है। जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी। दो प्रकार से कॉफी का उत्पादन की बिक्री की जाएगी। एक फिल्टर कॉफी होगी, जो स्वाद में बेहतर है, दूसरी ग्रीन कॉफी होगी। अरेबिका प्रजाति के पौधों से प्राप्त बीज का ओडिसा के कोरापुट में प्रोसेसिंग भी करवाई जा रही है |

किसान समाधान के YouTube चेनल की सदस्यता लें (Subscribe)करें

सम्बंधित लेख

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Stay Connected

217,837FansLike
500FollowersFollow
865FollowersFollow
54,100SubscribersSubscribe

Latest Articles

ऐप इंस्टाल करें