फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही देश के लोगों को बिना केमिकल और बिना फर्टिलाइजर के इस्तेमाल से गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपलब्ध कराये जा सकें इसके लिए सरकार देश में प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में “प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने किसानों का आह्वान किया कि वे अपने खेत के एक हिस्से पर प्राकृतिक खेती करें।
केंद्रीय कृषि मंत्री में प्राकृतिक खेती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि शुरुआती तीन सालों में जब किसान प्राकृतिक खेती करेंगे तो पैदावार कम होगी और ऐसी स्थिति में सरकार किसानों को सब्सिडी देगी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उगाए हुए अनाजों, फलों और सब्जियों की बिक्री से किसानों को डेढ़ गुना ज्यादा दाम मिल जाएँगे।
प्राकृतिक खेती के लिए चलाया जाएगा अभियान
कृषि मंत्री ने कहा कि देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जाएगा ताकि वे देश के हर कोने में जाकर इसका प्रचार कर सके। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी हितधारकों से परामर्श करके प्राकृतिक खेती के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि देश के कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के अध्ययन व खोज के लिए प्रयोगशालाओं को स्थापित किया जाएगा जिनकी मदद से देश में प्राकृतिक खेती को मदद मिलेगी और अन्न के भंडार भी भरेंगे।
प्राकृतिक और जैविक खेती में होता है अंतर
इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक खेती और जैविक खेती दो अलग-अलग चीजें हैं और इस अंतर को समझना जरूरी है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के फायदों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में पानी की कम जरूरत होती है और यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि अब सरकार प्राकृतिक खेती के महत्व को समझ गई है।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सभी छह कृषि विश्वविद्यालयों को प्रमाणन प्रयोगशालाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सीएम योगी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में चार कृषि विश्वविद्यालय, 89 कृषि विज्ञान केंद्र और दो केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं।