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किसान अब 4 अप्रैल तक कर सकते हैं अनुदान पर ढैंचा बीज लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन

ढैंचा बीज अनुदान हेतु आवेदन

भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हरी खाद महत्वपूर्ण योगदान निभा सकती है। जिसमें जमीन की सेहत सुधारने के लिए ढैंचा की बिजाई बहुत फायदेमंद है और इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है । ढैंचा फसल कम लागत में अच्छी हरी खाद का काम करती है। इससे भूमि को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन मिल जाती है। हरी खाद से भूमि में कार्बनिक पदार्थ बढ़ने से भूमि व जल संरक्षण तथा संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलने से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ जाती है। हरी खाद की महत्ता को देखते हुए हरियाणा सरकार किसानों को ढेंचा बीज अनुदान पर उपलब्ध करा रही है।

हरियाणा सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए ढेंचा बीज के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि को 25 मार्च से बढ़ाकर 4 अप्रैल, 2022 तक कर दिया है। अब किसान ढेंचा बीज की खरीद के लिए आगामी 4 अप्रैल तक विभाग की वेबसाइट ‘एग्रीहरियाणा’ पर आवेदन कर सकते हैं।

किसानों को कितना अनुदान दिया जायेगा

हरियाणा सरकार किसानों को खरीफ मौसम के दौरान ढेंचा बीज उपलब्ध करवा रही है। सरकार किसानों को ढेंचा बीज पर 80 फीसदी अनुदान भी दिया जाएगा। योजना के अनुसार ढेंचा बीज खरीदने के लिए किसान को मात्र 20 फीसदी राशि का भुगतान करना होगा। बीज की कीमत का शेष 80 फीसदी भुगतान सरकार करेगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान का ‘मेरी फसल-मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर पंजीकरण होना अनिवार्य है।

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किसानों को कितने बीज दिए जाएँगे 

हरियाणा सरकार इस सीजन में किसानों को 35,000 क्विंटल ढैंचा के बीज उपलब्ध कराने जा रही है| यह बीज प्रति एकड़ 12 किलोग्राम के हिसाब से किसानों को दिए जाएँगे। इस योजना के तहत एक किसान को अधिकतम 120 किलोग्राम बीज दिया जाएगा, यानि एक किसान 10 एकड़ का बीज अनुदान पर प्राप्त कर सकता है।

योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कृषि विभाग की वेबसाइट एग्रीहरियाणा पर किया जा सकता है। आवेदन के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड या किसान क्रेडिट कार्ड होना अनिवार्य है। योजना का लाभ लेने से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 या अपने संबंधित उपमंडल कृषि एवं किसान कल्याण कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।

हरी खाद से किसानों को क्या लाभ होगा 

ढैंचा फसल को हरी खाद के रूप में लेने से मृदा के स्वास्थ्य में जैविक, रासायनिक तथा भौतिक सुधार होते है व जलधारण क्षमता बढ़ती है। ढैंचा की पलटाई कर खेत में सड़ाने से नाइट्रोजन, पोटाश, गंधक, कैलिशयम, मैगनीशियम, जस्ता, ताबा, लोहा आदि तमाम प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। धान-गेहूं फसल चक्र के कारण मृदा की कम होती उर्वरा शक्ति बढ़ेगी तथा आने वाली फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। फसल विविधिकारण को बढ़ावा देने हेतु किसानों को गांव स्तर पर कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा ढैंचे की बिजाई करने हेतु पूर्ण जानकारी दी जाएगी।

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