किसानों को कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों से अवगत कराने के साथ ही उन्हें खेती किसानी में आ रही समस्याओं के समाधान एवं नई उन्नत किस्मों के बीज, मिट्टी पानी आदि की जाँच सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कृषि मेला (रबी) का आयोजन किया गया। मेले का आयोजन 16 एवं 17 सितम्बर 2024 के दौरान किया गया।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि मेला (रबी) 2024 का समापन 17 सितम्बर को हो गया है। इस वर्ष मेले की थीम “फसल अवशेष प्रबंधन” थी। मेले में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा नई तकनीकों की जानकारी देने के लिए 262 स्टाल लगाए गए थे। इसके साथ ही मेले में किसानों को नई उन्नत क़िस्मों के प्रमाणित बीज व कृषि साहित्य के साथ ही मिट्टी-पानी की जाँच की व्यवस्था भी की गई थी।
इन किस्मों के बीजों की रही माँग
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा ईजाद की गई क़िस्मों की पैदावार ज्यादा गुणवत्ता से भरपूर होने के कारण किसानों के बीच उनकी माँग सबसे ज्यादा रहती है। विश्वविद्यालय अब तक 295 उन्नत किस्में विकसित कर चुका है तथा इन किस्मों की अन्य प्रदेशों में माँग बढ़ रही है। कृषि मेले में गेहूं की कम पानी में उगाई जाने वाली WH-1142 व WH-1184, राया की RH-424 व RH-761 तथा चारे वाली फसल मल्टी कट जई की HJ-8 व HFO 707 जैसी नई किस्मों की माँग काफी रही। मेले में आये किसानों ने जहां सब्जियों के फलदार पौधों के बीज खरीदे वहीं प्रदर्शन प्रक्षेत्र पर लगी हुई उन्नत किस्मों के प्रदर्शन प्लॉटों का भी भ्रमण किया।
किसानों ने खरीदे 2 करोड़ 39 लाख रुपये के बीज
दो दिवसीय इस मेले में 39 हजार 600 किसानों ने शिरकत की। किसानों ने नये उन्नत बीजों, कृषि विधियों, सिंचाई यंत्रों, कृषि मशीनरी आदि की जानकारी हासिल की। मेले में आगामी रबी फसलों के बीजों के लिए किसानों में भारी उत्साह देखा गया। जहां किसानों ने गेहूं, जौ, सरसों, चना, मेथी, मसूर, बरसीम, जई तथा मक्का की उन्नत किस्मों के लगभग 2 करोड़ 39 लाख रुपये के बीज खरीदे। मेले में 65 हजार रुपये के कृषि साहित्य की बिक्री हुई। सब्जी व बागवानी फसलों के बीजों की 1 लाख 97 हजार 900 रुपये की बिक्री हुई।
इसके अलावा मेले में किसानों ने मिट्टी व पानी जाँच सेवा का लाभ उठाते हुए मिट्टी के 123 तथा पानी के 290 नमूनों की जाँच कराई। किसानों ने यहाँ विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म पर वैज्ञानिकों द्वारा उगाई गई फसलें भी देखीं तथा उनमें प्रयोग की गई प्रौद्योगिकी के साथ-साथ जैविक खेती के बारे में भी जानकारी हासिल की।
कृषि मेले में यह भी रहा खास
मेले में नवीनतम कृषि तकनीकों को जानने के अलावा उनके तकनीकी बुलेटिन भी किसानों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे। साथ ही प्रश्नोत्तरी सत्र में किसानों ने अपनी खेती संबंधी समस्याओं का निदान कृषि वैज्ञानिकों से प्राप्त किया। इस वर्ष के मेले की थीम फसल अवशेष प्रबंधन इसलिए रखा गया है ताकि किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके। वर्तमान समय में फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर जीवांश की मात्रा बढ़ाने, फसल विविधीकरण अपनाने के साथ-साथ जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए कम पानी में उगाई जाने वाली किस्मों के साथ-साथ फलदार पौधों व वृक्षारोपण को भी बढ़ाने की ज़रूरत है।