ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में झारखंड सरकार द्वारा 2020 में बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की गई थी। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में फलदार पौधे लगाये गये थे, जिनका लाभ अब किसानों को मिलने लगा है। कोविड-19 के समय 2020 में जब दूसरे राज्यों से मजदूर वापस लौटे तो उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई थी।
सरकार ने लॉकडाउन के दौरान अभियान चलाकर गावों में तेज़ी से फलदार पौधे लगाये ताकि मज़दूरों को उनके घर में ही रोज़गार मिलें और किसानों को बागान। सरकार की इस योजना से राज्य में आम्रपाली समेत कई अन्य आमों की वेराएटी का उत्पादन बढ़ गया है।
इन वेरायटी के आमों का हो रहा है उत्पादन
आम ही एक ऐसा फल है जिसकी वेरायटी अनगिनत है। लोकल स्तर पर लोग बिज्जू आम को अलग-अलग नाम दे देते हैं। कलमी आम में भागलपुरी लंगड़ा और मालदा लंगड़ा का झारखंड में सबसे ज्यादा क्रेज है। लेकिन बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत झारखंड की मिट्टी में आम्रपाली, मल्लिका और गुलाब खस का बेजोड़ उत्पादन हो रहा है। कल तक झारखंड के बाजार में यूपी के बाराबंकी से आम्रपाली, तमिलनाडु और कर्नाटक से मल्लिका और गुलाब खस बुलाये जाते थे परंतु अब इनकी सप्लाई लोकल किसान कर रहे हैं।
आम के कितने पौधे लगाये गये?
सरकार के मुताबिक बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 2020-21 में 25,695 एकड़ में 27,90,319 फलदार पौधे लगाए गये। साल 2021-22 में 20,648 एकड़ में 23,12,556 और 2022-23 में 20,933 एकड़ में 23,44,551और 2023-24 में 43,388 एकड़ में 44,06,905 फलदार पौधे लगाए गये। इस तरह चार सालों में 1,10,664 एकड़ में कुल 1 करोड़ 18 लाख 54 हजार 331 पौधे लगाए गये हैं। इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में ग्रामीणों को मिल रहा है। साल 2020-21 में 30,023 लाभुकों ने बागवानी की, साल 2021-22 में 23,554 और साल 2022-23 में 23,470 लाभुकों और 2023- 24 में 50,113 लाभुकों ने आम के पौधे लगाए। अब वही छोटे पौधे फल देने लगे हैं। इससे किसान बेहद उत्साहित हैं। कुछ समय पहले लगाए गये फलदार पौधे ग्रामीणों के जीवन में मिठास घोल रहे हैं।
किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा बाजार
खास बात है कि एक तरफ यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है तो दूसरी तरफ एक नई परेशानी भी लेकर आई है। आम का अच्छा उत्पादन होने की वजह से किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। फिलहाल शहरों के रिटेल मार्केट में लंगड़ा और गुलाब खस आम 60 रुपये किलो रिटेल में बिक रहा है। किसानों की इस तकलीफ को देखते हुए ग्रामीण विकास विभाग मार्केट तैयार करने की योजना बना रहा है ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके।