आज के समय में खेती से अधिक कमाई करने के लिए किसानों द्वारा कई नई पहल शुरू की जा रही है। इस कड़ी में एमपी के जबलपुर जिले के किसानों द्वारा कृषि क्षेत्र में लगातार नवाचारों को अपनाया जा रहा है। खास बात यह है कि नवाचारों को अपनाने की पहल खुद किसानों द्वारा की जा रही है और किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग परामर्शदाता की भूमिका में है। जिले में कृषि के क्षेत्र में अपनाये जा रहे नवाचारों में चिया की खेती प्रमुख है।
प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3, कैल्शियम, मैग्नीशियम, वसा और विटामिन-बी जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के चलते बाजार में आज के समय चिया सीड्स की मांग बढ़ी है। जिसका लाभ लेने के लिए किसानों के बीच चिया की खेती करने का रुझान बढ़ा है। जबलपुर जिले में वर्ष 2020 में महज 5 किसानों द्वारा 5 एकड़ में लगाई गई चिया का रकबा अब 150 एकड़ तक फैल चुका है। आमतौर पर चिया की खेती गर्म और शुष्क मौसम में की जाती है।
आम के बगीचे में चिया की खेती कर शुरू किया नवाचार
जबलपुर के पाटन विकासखंड के ग्राम मादा के किसानों से बीज खरीद कर अब निकटवर्ती जिले के किसानों ने भी अपने यहाँ चिया की खेती करना शुरू कर दिया है। जिले में शुरू हुई चिया की खेती में पाटन विकासखण्ड के ग्राम महगवां के किसान रामकृष्ण लोधी ने अपने दो एकड़ क्षेत्र में फैले आम के बगीचे में पेड़ से पेड़ के बीच की रिक्त भूमि पर चिया की खेती कर नवाचार की एक और मिसाल पेश की है। जिसका किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक डॉ. एस के निगम एवं अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी ने आसपास के किसानों के साथ अवलोकन किया। किसान रामकृष्ण ने इनकी मौजूदगी में ही चिया फसल की कटाई भी की।
चिया की खेती से किसान को मिल रहे हैं यह लाभ
किसान रामकृष्ण लोधी ने कृषि अधिकारियों को बताया कि आम के पौधों के बीच खाली पड़ी जगह में चिया की फसल लगाने पर इसके फूल से मधुमक्खियाँ आकर्षित होती हैं, जिसका फायदा आम के पेड़ में परागण में होता है। किसान के मुताबिक चिया लगाने से इस बार और उसके आम के बगीचे में फलों में पूर्व की तुलना काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि चिया की खेती के लिए प्रति एकड़ क्षेत्र में 3 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
चिया का बीज बहुत छोटा एवं हल्का होता है, इस कारण रेत या वर्मी कंपोस्ट मिलाकर इसकी बोनी करनी पड़ती है। बोनी करने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती। चिया में रोग एवं कीट का प्रकोप भी नहीं होता। चिया के उत्पादन के लिए चार सिंचाई की आवश्यकता होती है। रामकृष्ण के अनुसार चिया की फसल 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है और उत्पादन 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। रामकृष्ण ने बताया कि उन्हें नीमच मंडी में चिया का भाव 14 से 15 हजार रूपए प्रति क्विंटल है और उन्हें इससे 70 से 80 हजार रूपए तक का अतिरिक्त लाभ अर्जित होने का अनुमान है।