किसान संगठनों ने बताई आन्दोलन की आगे की रुपरेखा
1 दिसंबर को हुई सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता के बेनतीजा होने के बाद सरकार और किसानों के बीच 3 दिसंबर को फिर बातचीत होनी है। किसान आन्दोलन को लेकर आज किसान संगठन के नेताओं के बीच बैठक हुई | बैठक के बाद किसान संगठनों ने प्रेस कांफ्रेंस कर आने वाले दिनों में आन्दोलन की रुपरेखा के बारे में जानकारी दी | उन्होंने साफ़ कहा कि पिछली बातचीत में सिर्फ 32 संगठनों को बुलाया गया था, लेकिन गुरुवार को सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधि बातचीत में शामिल होने जायेंगे और अगर सरकार ने उनकी माँगें न मानी तो आंदोलन को और तेज़ किया जायेगा।
3 दिसम्बर को प्रतिनिधि लिख कर देंगे बताएँगे क्यों वापस लिए जाएँ तीनों कृषि कानून
सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने हमें अपनी परेशानियां लिखित में देने को कहा है तो ये हमने पहले भी दिया है और अब भी 7-10 पन्ने का मसौदा लिखकर देंगे और उसमें हम सरकार को आर्टिकल के अनुसार बताएँगे की यह कानून क्यों वापस लिए जाना चाहिए |
विशेष सत्र बुलाकर किसान वापस ले तीनों कृषि कानून
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार विशेष सत्र बुलाकर इन कानूनों को रद्द कर दे अन्यथा किसान दिल्ली ब्लॉक कर देंगे | उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार पंजाब के किसानों के अलावा पूरे देश के किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाए |
सरकार किसान संगठनों को आपस में बांटना चाहती है
किसान नेता दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र किसान संगठनों को आपस में बांटना चाहती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा। उन्होंने यह भी कहा की सरकार यह जाताना चाहती है कि यह आन्दोलन सिर्फ पंजाब के किसान कर रहें जबकि इसमें देशभर के किसान शामिल हैं | उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
5 दिसम्बर को पुतला दहन
किसान संगठनों ने भावी कार्यक्रम का ऐलान करते हुए बताया कि अब आंदोलन को पूरे देश में फैलाया जायेगा। 5 दिसंबर को देश के हर ज़िले में मोदी सरकार और अंबानी-अदानी समेत तमाम कॉरपोरेट कंपनियों का पुतला फूँका जायेगा और तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग की जायेगी।
7 दिसम्बर को आवार्ड वापसी
इसके बाद 7 दिसंबर को राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित कलाकार और खिलाड़ी किसानों पर दमन के खिलाफ़ अपना सम्मान वापस करेंगे। उन्होंने देश भर के सम्मानित विभूतियों का आह्वान किया कि वे सरकार को अपना सम्मान वापस कर दें।