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किसान की बनाई मशीन का 18 देशों में हो रहा है इस्तेमाल, सरकार देगी 1 लाख रुपये तक की सब्सिडी

किसान धर्मवीर कम्बोज के द्वारा बनाई कई मल्टी पर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन पर सरकार 80 हजार से 1 लाख रुपए तक की सब्सिडी देगी। किसान द्वारा बनाई गई इस मशीन की बिक्री 18 देशों में की जा रही है।

देश में कृषि वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि किसानों द्वारा भी नई तकनीकों की मशीन बनाई जा रही है। इस कड़ी में हरियाणा के यमुनानगर जिले के गांव दामला के किसान धर्मबीर कम्बोज ने एक मल्टी पर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन बनाई है। किसान द्वारा बनाई गई इस मशीन पर हरियाणा सरकार 80 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक की सब्सिडी देगी। मात्र 10वीं पास धर्मबीर कंबोज की बनाई यह मशीन 18 देशों में फूड प्रोसेसिंग के उपयोग में लाई जा रही है।

किसान धर्मबीर ने बताया कि वे आर्थिक तंगी के कारण केवल मैट्रिक कक्षा तक ही पढ़ पाए। अपने परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए वे 1980 के दशक में दिल्ली चले गए। वहां जाकर उन्होंने रिक्शा चलाने तक का काम किया। हालांकि एक दुर्घटना के बाद वे वापस अपने गांव लौट आए। गांव में वापस आने के बाद उन्होंने अपनी पुश्तैनी 2 एकड़ जमीन में से 1 एकड़ पर एलोवेरा और तुलसी की खेती शुरू की।

किसान को इस कारण बनाना पड़ा मशीन

किसान धर्मबीर ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली में काम करते हुए उन्होंने औषधीय खेती के बारे में सुना था, इसी को ध्यान में रख कर उन्होंने औषधीय खेती शुरू कर दी। खेती के बाद जब उन्होंने अपनी उपज बेचने की कोशिश की तो उन्हें उचित दाम नहीं मिले। आखिरकार उन्होंने खुद ही फसलों की प्रोसेसिंग करने की सोची। फसल की सही कीमत पाने में दिक्कत हो रही थी, इसलिए सोचा कि क्यों न अपनी उपज को प्रोसेस करके बेचूं, लेकिन कोई बड़ी मशीन खरीदने की हैसियत नहीं थी। इसी दौरान उन्होंने खुद ही मशीनें डिजाइन करने का फैसला लिया।

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इसके लिए बागवानी विभाग ने भी 25 हजार रुपये की मदद गुलाब जल निकालने वाली मशीन तैयार करने के तौर पर दी। उन्होंने इसी मशीन में और डाई का प्रयोग करके इसे मल्टी पर्पज बना दिया। धर्मबीर ने बताया कि इस मशीन पर प्रदेश सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने से अब किसानों और स्वयं सहायता समूह इसे आसानी से खरीद पाएंगे। उन्होंने बताया कि 2 लाख रुपये कीमत की यह मशीन अब किसानों को आधे दाम पर ही उपलब्ध होगी।

इन देशों में बिक्री के लिए जा रही है मशीन

किसान धर्मबीर के अनुसार उन्होंने वर्ष 2007 में मल्टी पर्पज फूड प्रोसेस मशीन बनाई। उनकी बनाई मशीन का पता जब अहमदाबाद के नेशनल इनोवेशन संस्थान को चला तो उन्होंने इस मशीन को और अधिक आधुनिक बनाने में मदद की। चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भी वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद से उनका मशीन बनाने का सफर शुरू हो गया और भारत देश सहित इटली, अमेरिका, केन्या, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, ज़िमबाबे, युगांडा और नाइजीरिया में उनकी मशीन की बिक्री की जाने लगी।

धर्मबीर कंबोज ने बताया कि उन्होंने अपने फार्म पर ही धर्मबीर फूड्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाकर मशीनें बनाने का काम शुरू किया हुआ है। हर महीने करीब 10 मशीनें तैयार कर देते हैं। उन्होंने बताया कि इन मशीनों को चलाने का प्रशिक्षण भी फार्म पर 2 दिनों तक दिया जाता है, ताकि किसान को मशीन चलाने में कोई समस्या न आए।

इन कामों में किया जाता है मशीन का इस्तेमाल

किसान आने बताया कि इस मल्टी पर्पज फूड प्रोसेस मशीन से किसी भी फल का जूस बिना बीज पीसे निकाला जा सकता है ,इससे जूस कड़वा नहीं होता। इसके अलावा मशीन से पिसाई, मिश्रण करने, तेल निकालने, गुलाब जल निकालने, एलोवेरा जैल निकालने, भुने हुए चने व छोले बनाने, आलू, गाजर, अदरक, हल्दी, लहसुन और प्याज को छीलने का काम भी कुछ ही मिनटों में किया जा सकता है। इसके अलावा इस मशीन में दूध से खोया बनाने और गाजर का हलवा भी बिना जले बड़ी आसानी से बनाया जा सकता है। इस मशीन से वे आंवला मुरब्बा, कैंडी, साबुन, जैल, जूस, औषधीय अर्क और होली के लिए गुलाल तक तैयार कर रहे है।

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राष्ट्रपति द्वारा किया जा चुका है सम्मान

वर्ष 2013 में, धर्मबीर को उनके अभिनव कार्य के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा, मुझे अपनी बहुउद्देशीय मशीनों के कारण कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। जब मैंने पहली बार मशीन विकसित की थी, तो लोग मेरे विचारों का मजाक उड़ाते थे। लेकिन मैंने कभी भी नकारात्मक आलोचना की परवाह नहीं थी। मैंने अपने काम पर ध्यान केंद्रित किया। आज, मैं पूरी दुनिया में एक इनोवेटर के रूप में पहचाना जाता हूँ।

12वीं कक्षा में पढ़ाई जा रही है किसान धर्मबीर की कहानी

किसान धर्मबीर के संघर्ष और उसके बाद मिली अभूतपूर्व सफलता को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में जगह मिली है। वर्ष 2022 में उनकी कहानी को भारत सरकार की एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की बिजनेस स्टडीज की पाठ्यपुस्तक के अध्याय-3 में शामिल किया गया। किसान धर्मबीर का कहना है कि मुझे बेहद गर्व है कि छात्रों को मेरे संघर्ष और एक इनोवेटर के तौर पर मेरे सफर के बारे में पता चल रहा है।

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