किसान आत्महत्या के कारण
देश में जहां प्रति परिवार कृषि योग्य भूमि में लगातार कमी हुई है वहीं किसानों की आय में भी कुछ खास फर्क नहीं आया है | जिससे देश में प्रतिवर्ष आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या में भी कुछ खास कमी नहीं आई है ।फसलों के मूल्य में महंगाई की तुलना में लागत से कम वृद्धि हो रही है जिसके कारण खेती करना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है | इसके अलावा प्राकृतिक कारणों तथा कीट-रोगों से लगातार हो रहे फसल नुक़सान की वजह से भी किसानों को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ रहा है ।
किसानों के द्वारा की जा रही आत्महत्याओं को लेकर सांसद श्री महेश साहू ने लोकसभा में सवाल पूछा, उन्होंने अपने सवाल में पूछा कि क्या सरकार ने देशभर में किसानों के द्वारा की गई आत्महत्याओं के कारणों को जानने के लिए कोई व्यापक अध्ययन किया है उसके कारण क्या हैं? पिछले पाँच वर्षों में किसानों के द्वारा की गई आत्महत्या की जानकारी भी उन्होंने अपने सवाल में माँगी ।जिसके जबाब में केंद्रीय कृषि ने देश में किसानों के द्वारा की जा रही आत्महत्याओं एवं उनके कारणों के बारे में जानकारी दी |
इन कारणों से देश के किसान कर रहे हैं आत्महत्या
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने जबाब में बताया कि सरकार ने सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान (आईएसईसी), बंगलुरु के माध्यम से कार्य योजना 2016-17 में अखिल भारतीय समन्वित अध्ययन के रूप में “भारत में किसान आत्महत्या: कारण और नीति निर्धारण” का अध्ययन कराया था । इस अध्ययन में देश के 13 रज्यों को शामिल किया गया जिसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल थे।
उन्होंने बताया कि अध्ययन के अनुसार देश में किसानों की आत्महत्या के कई प्रमुख कारण हैं, जिसमें प्रक्रतिक आपदाओं से फसलों को होने वाली क्षति, सिंचाई के साधनों का ना होना जैसे कारण प्रमुख है। कृषि मंत्री के अनुसार किसान आत्महत्या का कारण इस प्रकार है :-
- मानसून की अनियमितताओं के कारण लगातार फसल की विफलता,
- सुनिश्चित जल संसाधनों की अनुपस्थिति,
- कीट और बीमारी से फसलों को होने वाली क्षति।
कृषि मंत्री ने किसानों की आत्महत्या के लिए फसलों का सही मूल्य नहीं मिलने को शामिल नहीं किया है | जबकि देश में फसलों को सही मूल्य नहीं मिलने के कारण कृषि लगातार घाटा हो रहा है |
सरकार आत्महत्या रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है ?
केन्द्रीय कृषि और कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए केंद्र प्रायोजित विभिन्न प्रकार की योजनाओं की जानकारी देते हैं | जिससे किसानों के द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं को कम किया जा सके | सरकार के द्वारा सुझाई गई योजना इस प्रकार है :-
- व्यक्तिगत किसानों को फसल बीमा के दायरों में लाना,
- उपलब्ध पानी के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है,
- उत्पादन की लागत और उचित लाभ मार्जिन को कवर करते हुए एमएसपी के माध्यम से सरकारी कार्यकलाप,
- स्थायी आय के लक्ष्य से किसानों के संकट को कम करने के लिए फसल और उद्यम विविधिकरण के माध्यम से जोखिम बचाव को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए,
- अनौपचारिक ऋण बाजार को विनियमित करना |
बीते वर्षों में किसानों के द्वारा की गई किसानों के द्वारा आत्महत्या
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के हवाले से संसद को बताया है कि किसानों की आत्महत्या वर्ष दर वर्ष कितनी है | NCRB के डेटा के अनुसार देश में किसानों की आत्महत्या में कमी आई है | जहाँ वर्ष 2019 में 5957 किसानों ने आत्महत्या की थी वहीं वर्ष 2020 में 5579 किसानों ने ही आत्महत्या की है |
राज्यों के अनुसार महराष्ट्र के किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहें हैं | वर्ष 2019 में महाराष्ट्र में 2680 किसानों ने आत्महत्या किया है तो वहीँ वर्ष 2020 में 2567 किसानों ने आत्महत्या किया है | वर्ष 2020 में बिहार. गोवा, हरियाणा, झारखंड, नागालैंड, ओड़िसा, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, दिल्ली (यूटी), जम्मू कश्मीर, लद्दाख, लक्षदवीप और पुदुचेरी में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं की है |
राज्यों के अनुसार वर्ष 2016 से 2020 के दौरान किसानों के द्वारा की गई आत्महत्या
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB की “भारत में आकस्मिक मौतों और आत्महत्याओं” पर रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2016 में 6270 किसानों ने, वर्ष 2017 में 5955 किसानों ने, 2018 में 5763 किसानों ने, 2019 में 5957 किसानों ने एवं वर्ष 2020 में देश भर से 5579 किसानों ने आत्महत्या की है । जिसमें वर्ष 2020 में राज्य के अनुसार की जाने वाली आत्महत्याओं में सबसे अधिक महाराष्ट्र राज्य में 2567 किसानों ने आत्महत्या की है |
क्रं.सं. | राज्य/संघ राज्य क्षेत्र | 2016 | 2017 | 2018 | 2019 | 2020 |
1. | आंध्र प्रदेश | 239 | 375 | 365 | 628 | 564 |
2. | अरुणाचल प्रदेश | 6 | 0 | 0 | 0 | 1 |
3. | असम | 6 | 3 | 5 | 26 | 12 |
4. | बिहार | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
5. | छत्तीसगढ़ | 585 | 285 | 182 | 233 | 227 |
6. | गोवा | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
7. | गुजरात | 30 | 4 | 21 | 3 | 5 |
8. | हरियाणा | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
9. | हिमाचल प्रदेश | 0 | 4 | 5 | 12 | 6 |
10. | जम्मू कश्मीर | 0 | 0 | 5 | 0 | 0 |
11. | झारखंड | 3 | 0 | 0 | 0 | 0 |
12. | कर्नाटक | 1212 | 1157 | 1365 | 1331 | 1072 |
13. | केरल | 23 | 42 | 25 | 22 | 57 |
14. | मध्य प्रदेश | 599 | 429 | 303 | 142 | 235 |
15. | महाराष्ट्र | 2550 | 2426 | 2239 | 2680 | 2567 |
16. | मणिपुर | 1 | 0 | 2 | 0 | 1 |
17. | मेघालय | 2 | 0 | 0 | 0 | 4 |
18. | मिजोरम | 0 | 0 | 17 | 22 | 4 |
19. | नागालैंड | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
20. | ओड़िसा | 20 | 0 | 0 | 0 | 0 |
21. | पंजाब | 232 | 243 | 229 | 239 | 174 |
22. | राजस्थान | 4 | 3 | 2 | 2 | 0 |
23. | सिक्किम | 12 | 7 | 1 | 0 | 6 |
24. | तमिलनाडु | 36 | 19 | 6 | 6 | 79 |
25. | तेलंगाना | 632 | 846 | 900 | 491 | 466 |
26. | त्रिपुरा | 4 | 0 | 0 | 0 | 0 |
27. | उत्तर प्रदेश | 69 | 110 | 80 | 108 | 87 |
28. | उत्तराखंड | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
29. | पश्चिम बंगाल | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
30. | अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | 3 | 2 | 4 | 5 | 6 |
31. | चंडीगढ़ | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
32. | दादर एवं नागर हवेली | 0 | 0 | 7 | 7 | 6 |
33. | दमन और दीव | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
34. | दिल्ली | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
35. | लक्षद्वीप | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
36. | पुदुचेरी | 2 | 0 | 0 | 0 | 0 |
योग (अखिल भारत) | 6270 | 5955 | 5763 | 5957 | 5579 |