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खेती के इन कामों में किया जायेगा ड्रोन का उपयोग, सरकार दे रही है ड्रोन खरीद पर सब्सिडी

कृषि में ड्रोन का उपयोग एवं सरकार द्वारा जाने वाली सब्सिडी

केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए लगातार ज़ोर दे रही है, ड्रोन तकनीक का उपयोग अधिक से अधिक किसान कर सकें इसके लिए सरकार ने ड्रोन की खरीद पर सब्सिडी भी दे रही है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने 8 अप्रैल 2022 को दक्षिणी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (एसआरएफएमटीएंडटीआई) अनंतपुर का दौरा किया और किसानों के साथ ड्रोन प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया। यहाँ उन्होंने कृषि में ड्रोन के उपयोग एवं सरकार द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता के बारे में किसानों को जानकारी भी दी।

डॉ. लिखी ने बताया कि ड्रोन तकनीक की कृषि में बेमिसाल क्षमता है। इसमें फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता बढ़ाने के अलावा लागत कम करने तथा खतरनाक कामकाजी परिस्थितियों में मानव जोखिम को कम करने की जबरदस्त क्षमता है। केंद्रीय बजट 2022-23 में, सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि जिसके अनुसार फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

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कीटनाशकों के छिड़काव के लिए जारी की गई गाइडलाइन

कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकियों के अनूठे फायदों को देखते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए जरूरी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है, जो ड्रोन के प्रभावी और सुरक्षित संचालन लिए जरूरी जानकारी प्रदान करती है।

ड्रोन की खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी 

कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए और इस क्षेत्र के किसानों तथा अन्य हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को सस्ता बनाने के लिए, कृषि मशीनीकरण पर सब-मिशन (एसएमएएम) के तहत आकस्मिक व्यय के साथ-साथ ड्रोन की 100 प्रतिशत लागत की वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। ये सहायता किसान के खेतों पर अपने प्रदर्शन के लिए मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएवी) के संस्थानों को दी जा रही है।

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इसके अलावा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर ड्रोन के प्रदर्शन के लिए ड्रोन की खरीद के लिए 75 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है। ड्रोन इस्तेमाल के माध्यम से कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए, कॉर्पोरेटिव सोसाइटी ऑफ फार्मर्स, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ग्रामीण उद्यमियों के तहत मौजूदा तथा नए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) द्वारा ड्रोन खरीद के लिए और उससे जुड़े सामान की मूल लागत का 40 प्रतिशत या 4 लाख रुपये, जो भी कम हो, की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। कृषि से स्नातक करके सीएचसी की स्थापना करने वाले ड्रोन की लागत के 50 प्रतिशत की दर से (अधिकतम 5 लाख रुपये तक की) वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं।

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