रबी फसलों में इन दवाओं से करें रोगों की रोक थाम
किसान भाई अक्सर हम देखते हैं की हमारी फसल में विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं , तथा जानकारी के आभाव में काफी नुकसान उठाना पडता है | इस लिए किसान समाधान ने आप के लिए उन रोगों की जानकर तथा उसकी रोक थाम की जानकारी ले कर आया है |
क्र.सं. | फसल का नाम | नाम कीट / रोग | नियंत्रण के उपाय |
1. | गेंहू | दीमक | खड़ी फसल में दीमक की रोकथाम हेतु क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. चार लीटर प्रति हैक्टेयर सिंचाई के साथ देवें | |
शूट फ्लाई | इसके उपचार हेतु मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल.500 मिलीलीटर या फोसोलोन 35 ई.सी. 750 मिलीलीटर का अंकुरण के तीन चार दिन के अन्दर छिड़काव करें | | ||
मकड़ी, मोयल व तेला | इनकी रोकथाम हेतु मिथाईल डेमेटोन 25 ई.सी. या डायमिथोएट 30 ई.सी. एक लीटर या मैलाथियान 50 ई.सी. एक से डेढ़ लीटर या क्यूनालफास 25 ई.सी. 800 से 1000 मिलीलीटर का प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें | | ||
रोली रोग | 1. रोग नियंत्रण हेतु रोली रोधी किस्मों की बुवाई करें | 2. दो किलो मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. का प्रति हैक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें | | ||
अनावृत कंडवा | बीज की बुवाई के पूर्व दो ग्राम कर्बोकिसन 75 प्रतिशत डब्लू.पी. या कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी. से प्रति किलो बीज को उपचारित करें | | ||
चूहा नियंत्रण | इनकी रोकथाम हेतु एक भाग जिंक फस्फईद को 47 भाग आटे, 2 भाग तिल या मूंगफली के तेल और एक भाग गुड में मिलाकर विषैला चुग्गा तैयार करें | प्रत्येक आबाद बिल में 6 ग्राम चुग्गा रखें या ब्रोमोडायलिन 0.005 प्रतिशत बेट (15 ग्राम प्रति बिल) चूहा नियंत्रण हेतु 25 बिल प्रति हैक्टेयर से अधिक होने पर काम में लेवें | | ||
2. | जौ | ब्ल्यू बीटल और फील्ड क्रिकेट्स | कीट ग्रस्त खेतों में प्रति हैक्टर 25 किलो मिथाईल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण का भुरकाव करें | |
मकड़ी, मोयला एवं तेला | इनके उपचार हेतु मिथाईल डेमेटोन 25 ई.सी या डायमिथोएट 30 ई.सी. एक लीटर का प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें | | ||
दीमक | खड़ी फसल में दीमक की रोकथाम हेतु क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. चार लीटर प्रति हैक्टेयर सिंचाई के साथ देवें | | ||
रोली रोग | इसकी रोकथाम हेतु 25 किलो गंधक का चूर्ण प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें या रोग के प्रारम्भ होते ही ट्राईडेमोर्फ 80 प्रतिशत ई.सी. 750 मिलीलीटर प्रति हैक्टेयर छिडकाव करें | | ||
मोल्या रोग | मोल्यारोधी किस्मों की बुवाई करें | फसल चक्र में चना , सरसों, प्याज, सूरजमुखी, मैथी, आलू या गाजर की फसल बोयें | गर्मी में खेतों की गहरी जुताई करें | जिन खेतों में रोग का अधिक प्रकोप हो वंहा बुवाई से पूर्व 30 किलो कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत कण प्रति हैक्टर की दर से भूमि में उरकर बुवाई करें | | ||
चूहों की रोकथाम | इनकी रोकथाम हेतु एक भाग जिंक फस्फईद को 47 भाग आटे, 2 भाग तिल या मूंगफली के तेल और एक भाग गुड में मिलाकर विषैला चुग्गा तैयार करें | प्रत्येक आबाद बिल में 6 ग्राम चुग्गा रखें या ब्रोमोडायलिन 0.005 प्रतिशत बेट (15 ग्राम प्रति बिल) चूहा नियंत्रण हेतु 25 बिल प्रति हैक्टेयर से अधिक होने पर काम में लेवें | | ||
3. | चना | कटवर्म, दीमक एवं वायर वर्म | इनकी रोकथाम के लिए क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टर की दर से आखिरी जुताई से पूर्व भुरकें | |
फली छेदक | 1. इसकी रोकथाम हेतु फूल आने से पहले व फली लगने के बाद मैलाथियान 5 प्रतिशत या क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत या कर्बेरिक 5 प्रतिशत या फैनथोएट 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टर भुरकें | 2. फली छेदक नियंत्रण हेतु फूल आते समय ए.पी.वी. 250 एल.ई. 125 मिली. लीटर तथा 625 मिलीलीटर प्रति हैक्टर का पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर तिन छिडकाव करें अथवा क्यूनालफास 25 ई.सी. एक लीटर या मैलाथियान 50 ई.सी. या फेनिट्रोथिआन 25 ई.सी. सवा लीटर या मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल.एक लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें | या 3. फलीछेदक के नियंत्रण हेतु लगभग 50 प्रतिशत फूल आने पर नीम का तेल 700 मिलीलीटर प्रति हैक्टर का छिड़काव करें | एक लाईट ट्रेड प्रति 5 हैक्टर उपयोग में लेवें | | ||
झूलन रोग | झुलसान रोग के लक्षण दिखाई देते ही मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू .पी. 0.2 प्रतिशत या कॉपर आक्सीक्लोरईड 50 प्रतिशत डब्ल्यू .पी. 0.3 प्रतिशत या घुलनशील गंधक 0.2 प्रतिशत घोल का 10 दिन के अंतराल पर चार छिड़काव करें | | ||
जड़गलन | 6 से 8 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति किलो बीज की दर से बिजरोपचार करें या कर्बेन्ड़ेजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 1 ग्राम या थाईरम 75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज दर से उपचारित करें | | ||
4. | सरसों | पेन्टेड बग व आरामक्खी | इनकी रोकथाम हेतु क्यूनाल्फास 1.5 प्रतिशत या मैलाथियान 5 प्रतिशत या मिथाईल पैराथियाँन 2 प्रतिशत या कार्बेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण 20 – 25 किलो प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव करें | |
मोयला | मोयला की रोकथाम हेतु मिथाईल पैराथियान 2 प्रतिशत या मैलाथियान 5 प्रतिशत या कार्बेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण 20 – 25 किलो प्रति हैक्टर भुरकें या पानी की सुविधा वाले स्थानों पर मैलाथियान 50 ई.सी. सवा लीटर या डाई मिथेएट 30 ई.सी. या कार्बेरिल 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण धी किलो या मिथाईल डिमेटोन 25 ई.सी. एक लीटर अथवा क्लोरोपाईरीफास 20 ई.सी. 600 मिलीलीटर प्रति हैक्टर की दर से पानी में मिलाकर छिडकें | | ||
लीफ माईनर | लीफ माईनर की रोक्थाम्हेतु क्यूनालफास 25 ई.सी. 700 मिलीलीटर या मिथाईल पैराथियान 50 ई.सी. 500 मिलीलीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें | जंहा छिड़काव सम्भव नहीं हो वंहा पर या मैला थियान 5 प्रतिशत या कार्बेरिल या 5 प्रतिशत मिथाईल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण 20 – 25 किलो प्रति हैक्टर भुरकें | | ||
झुलसा, तुलासिता व सफेद रोली | इन रोगों के लक्षण दिखाई देते ही दो किलो मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. या ढाई किलो जाईनेब 80 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. प्रति हैक्टेयर पानी में मिलाकर छिडकें | सफ़ेद रोली के लक्षण दिखाई देने पर मैटालेक्सिल 8 प्रतिशत + मैंकोजेब 64 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें | आवश्यकतानुसार यह छिड़काव 20 दिन के अन्तराल पर दोहरायें | | ||
छाछया | इसकी रोक थम हेतु प्रति हैक्टेयर 20 किलो गंधक चूर्ण भुरकें या ढाई किलो घुलनशील गन्धक या 750 मिलीलीटर डाइनोकेप 48 प्रतिशत ई.सी.पानी में मिलाकर छिडकें | |