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बुधवार, नवम्बर 5, 2025
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गेहूं की उन्नत किस्म करण शिवांगी DBW 359 की जानकारी

गेहूं की नई उन्नत किस्म करण शिवांगी DBW 359 को भारत के मध्य और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में खेती के लिए अनुमोदित किया गया है। DBW किस्म एक सीमित सिंचाई यानि की कम पानी वाली किस्म है। मध्य क्षेत्र में इस किस्म की उपज क्षमता 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है।

रबी सीजन के दौरान देश में गेहूं की खेती प्रमुखता से की जाती है। ऐसे में गेहूं का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ा कर किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा देश के अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए गेहूं की नई एवं उन्नत किस्मों का विकास किया जा रहा है। इस कड़ी में गेहूं की एक ऐसी ही उन्नत किस्म “करण शिवांगी DBW 359″ का विकास गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा किया गया है।

केंद्रीय फसल मानक एवं विमोचन एवं अधिसूचना उपसमिति द्वारा गेहूं की किस्म DBW 359 करण शिवांगी को वर्ष 2023-24 में मध्य एवं प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सीमित सिंचाई और समय से बुआई के लिए जारी किया गया है। मध्य क्षेत्र में मध्य प्रदेश, गुजरात, यूपी का झांसी क्षेत्र, राजस्थान का कोटा और उदयपुर क्षेत्र आदि आते हैं वहीं प्रायद्वीपीय क्षेत्र में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा एवं तमिलनाडु आदि राज्य आते हैं। इन क्षेत्रों के किसान सीमित सिंचाई यानि कम पानी की स्थिति में इस किस्म को लगाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इन किस्मों से बेहतर उत्पादन देती है गेहूं किस्म DBW 359

गेहूं किस्म DBW 359 करण शिवांगी की उपज क्षमता सीमित सिंचाई, समय से बुआई की स्थिति में मध्य क्षेत्र में 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में 48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है। मध्य क्षेत्र में DBW 359 ने 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज दी जोकि DBW 110 की तुलना में 3.99% अधिक थी साथ ही इस किस्म ने विमोचन के लिए चिह्नित अन्य क़िस्मों जिसमें CG-1036 और HI-1655 से क्रमशः 1.89% और 5.6% अधिक उपज दी।

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प्रायद्वीपीय क्षेत्र में DBW 359 ने औसतन 34.54 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज दी जो सर्वोत्तम चैक NIAW-3170 की तुलना में 4.93% अधिक और चैक किस्म HI-1605 की तुलना में 7.47% अधिक उपज दी। प्रायद्वीपीय क्षेत्र में DBW 359 ने अन्य किस्मों नामतः HI-1665 की तुलना में 4.48% अधिक और NIAW 4028 की तुलना में 3.23% प्रतिशत अधिक उपज दर्ज की।

DBW 359 गेहूं किस्म की विशेषताएं

  • गेहूं किस्म DBW 359 एक अत्यंत जल उपयोग दक्षता वाली किस्म है। इस किस्म ने बिना सिंचाई के सापेक्ष 2 सिंचाई में मध्य क्षेत्र में 40 प्रतिशत और प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 69 प्रतिशत की उपज लाभ को प्रदर्शित किया है।
  • मध्य और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सिंचाई के विभिन्न स्तरों के तहत किए गए कृषि संबंधी मूल्यांकन प्रयोगों में इस किस्म में दानों की संख्या प्रति बाली अधिकतम पायी गई।
  • DBW 359 किस्म ब्लास्ट की बीमारी के प्रति अत्यधिक प्रति रोधी किस्म है।
  • इस किस्म में भूरा (औसत स्कोर 6.1) एवं काला रतुआ (औसत स्कोर 7.1) रोगों के प्रति प्रतिरोधात्मक क्षमता अधिक पायी गई है।
  • करण शिवांगी किस्म ने SRT में पैथोटाइप 42बी को छोड़कर काला रतुआ के सभी 23 पैथोटाइप के प्रति प्रतिरोधात्मक क्षमता को प्रदर्शित किया है।
  • DBW 359 में हेक्टोलीटर भार (80.9 kg/hl), अवसादन मूल्य (55.1 ml), लौह सामग्री की उच्च मात्रा तथा फिनॉल की कम मात्रा पायी गई है।
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किसान अधिकतम उत्पादन के लिए इस तरह करें DBW 359 की खेती

  • गेहूं किस्म DBW 359 करण शिवांगी की खेती के लिए बीजों की बुआई का उपयुक्त समय 1 से 10 नवम्बर तक है।
  • किसान बुआई के लिए बीज दर 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपयोग करें।
  • DBW 359 में किसान नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (N:P:K) की मात्रा क्रमशः 100:60:40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खाद का प्रयोग करें।
  • गेहूं किस्म DBW 359 एक सीमित सिंचाई वाली क़िस्म है। पानी की उपलब्धता होने पर किसान इस किस्म में 2 सिंचाई कर सकते है। जिसमें किसानों को पहली सिंचाई 40 से 45 दिन बाद और दूसरी सिंचाई बुआई के 60 से 70 दिन बाद करनी चाहिए।
  • इस किस्म में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2,4-डी (500 ग्राम/ हेक्टेयर) या कारफेंट्राजोन (20 ग्राम/ हेक्टेयर) या मेटसल्फ्यूरॉन (4 ग्राम/ हेक्टेयर) और संकरी पत्ती वाली घास के लिए क्लोडिनाफॉप (60 मिली/ हेक्टेयर) या सल्फोसल्फ्यूरॉन (25 मिली/ हेक्टेयर) या आईएसोप्रोट्यूरॉन (1000 मिली/हेक्टेयर) का 250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • करण शिवांगी किस्म में भूरा एवं काला रतुआ रोग के नियंत्रण के लिए रोग दिखने के 15 दिनों के अंतराल पर 0.1 प्रतिशत (1 मिली/ लीटर) की दर से प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
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