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मंगलवार, जनवरी 14, 2025
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सभी जिलों में माँग के अनुसार डीएपी खाद का किया जा रहा है वितरण, 7 दिनों में ओर आएगी 20 हजार मीट्रिक टन डीएपी

इस वर्ष मानसून सीजन में हुई अच्छी वर्षा के चलते डीएपी और अन्य उर्वरकों में मांग बढ़ी है, जिसके चलते सभी किसानों को डीएपी मिल सके इसके लिए कृषि विभाग राजस्थान की ओर से प्रदेश में डीएपी की दैनिक उपलब्धता की निरंतर समीक्षा कर कम उपलब्धता एवं अधिक खपत वाले जिलों को चिन्हित करते हुए सभी जिलों में प्राथमिकता से पूरी पारदर्शिता के साथ वितरण किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में 34 हजार मीट्रिक टन डीएपी, 4 लाख 18 हज़ार मीट्रिक टन यूरिया, 2 लाख 22 हज़ार मीट्रिक टन एसएसपी एवं 52 हजार मीट्रिक टन एनपीके का स्टॉक उपलब्ध हैं।

कृषि विभाग के मुताबिक राज्य में इस वर्ष औसत से 58.68 प्रतिशत अधिक वर्षा होने से बांधों एवं तालाबों में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई जल की उपलब्धता है इसलिए रबी फसलों के बुवाई क्षेत्रफल में भी वृद्धि होने की संभावना है। साथ ही सितम्बर माह में लगातार वर्षा होने के कारण रबी फसलों की बुवाई एक साथ अक्टूबर माह में हो रही है, जिसके कारण इस माह में डीएपी उर्वरक की मांग अधिक है।

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राज्य को अब तक मिला 42 प्रतिशत डीएपी 

कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के शासन सचिव राजन विशाल ने बताया कि राज्य में रबी 2024-25 हेतु अक्टूबर महीने में भारत सरकार द्वारा 1 लाख 80 हजार मीट्रिक टन डीएपी का आवंटन किया गया, जिसके विरूद्ध 22 अक्टूबर 2024 तक 74 हजार मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हुई है, जो कि आवंटित मात्रा का लगभग 42 प्रतिशत है। राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर 2024 माह की आवंटित मात्रा में से शेष 1.06 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हेतु केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है। कंपनीवार आवंटित मात्रा की शत-प्रतिशत आपूर्ति हेतु आपूर्तिकर्ता कम्पनियों से लगातार समन्वय स्थापित कर शीघ्र आपूर्ति हेतु प्रयास किये जा रहे है।

7 दिनों में होगी 20 हजार मीट्रिक टन की आपूर्ति

शासन सचिव ने बताया कि रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, उर्वरक विभाग, भारत सरकार द्वारा अवगत करवाया गया है कि रैक प्वाईन्ट्स- कनकपुरा, अलवर, सूरतगढ, मेडतासिटी, भवानीमण्डी कोटा़, बारां, बीकानेर, हिण्डौन सिटी, लालगढ़, सूरतगढ़ पर आगामी 7 दिनों में डीएपी रैक आने की संभावना है, जिससे राज्य में 15 से 20 हजार मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हो सकेगी। उन्होंने कहा कि डीएपी के वैकल्पिक उर्वरक के रूप में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) व यूरिया तथा एनपीके के उपयोग हेतु कृषकों को किसान गोष्ठीयों, मेलों, महिला प्रशिक्षणों आदि के माध्यम से प्रशिक्षित एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

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