उत्तर प्रदेश में पशुपालन क्षेत्र की योजनाओं की प्रगति और विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 मई के दिन अपने आवास पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन और दुग्ध विकास प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। यह क्षेत्र केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें आजीविका, पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की भी व्यापक संभावनाएं हैं। तकनीक, निवेश और नवाचार को बढ़ावा देते हुए इस क्षेत्र को और अधिक सशक्त किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस प्रयास करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का प्रयोग सरकारी भवनों में भी किया जाये तथा पेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाई जाए।
गरीब परिवारों को उपलब्ध कराई जाए गाय
पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि जिन गरीब परिवारों के पास पशुधन नहीं है, उन्हें “मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना” के अंतर्गत गाय उपलब्ध कराई जाए। इससे परिवारों को एक ओर जहाँ गौ सेवा का पुण्य प्राप्त होगा, वहीं दूसरी ओर दूध की उपलब्धता से परिवार के पोषण स्तर में भी सुधार होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडल स्तर पर देसी नस्ल की गायों की प्रतियोगिता कराई जानी चाहिए। इसी प्रकार गौ आधारित उत्पाद बनाने वाली संस्थाओं के बीच भी प्रतियोगिता आयोजित की जाए। अच्छे आश्रय स्थलों को चिह्नित कर सम्मानित किया जाए।
गो-आश्रय स्थल पर की जाए केयर टेकर की तैनाती
बैठक में मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश के 7,693 गौ आश्रय स्थलों में 11.49 लाख गोवंश संरक्षित है। इनकी निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जा रही है और नियमित अंतराल पर निरीक्षण भी हो रहा है। मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि गो आश्रय स्थलों में केयर टेकर की तैनाती, उन्हें समय पर मानदेय भुगतान, भूसा बैंक की स्थापना, पानी, हरे चारे और चौकर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। यहाँ समय-समय पर पशु चिकित्सकों की विजिट भी कराई जाए।
विभाग की समीक्षा बैठक में बताया गया कि जनपद वाराणसी, मुजफ्फरनगर में गो-आश्रय स्थलों की आत्मनिर्भरता हेतु सीबीजी प्लांट की स्थापना की जा रही है। प्रदेश में अब तक 40968.29 हेक्टेयर गोचर भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है, जिसमें से 12168.78 हेक्टेयर भूमि पर हरा चारा उत्पादन हो रहा है। महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी से ग्रामीण रोजगार भी सृजित हो रहा है। 21884 गोसेवक प्रशिक्षित कर कार्य में लगाए गए हैं। इसी प्रकार बरेली जिले में इफ़को आंवला के साथ मिलकर वृहद गो संरक्षण केंद्रों में गोबर से जैविक खाद और गो मूत्र से प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
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