देश में पशुओं की दूध उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, इसमें गायों का कृत्रिम गर्भाधान भी किया जाना शामिल है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत पशुपालन विभाग द्वारा प्रदेश के 23 जिलों में ब्राजील से लाए गए उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले गिर नस्ल के सांडों के पारम्परिक हिमकृत वीर्य डोजेज का वितरण किया जा रहा है।
पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि गिर नस्ल की गायों के नस्ल सुधार पर तेजी से कार्य हो रहा है। जिसके तहत राज्य को ब्राजील के गिर गोवंश के सांडों का हिमकृत सीमन पहली बार प्राप्त हुआ है। इस सीमन का उपयोग राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार गिर गोवंश के बाहुल्य वाले क्षेत्रों में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाली शुद्ध गिर गोवंश की मादाओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाएगा।
किसानों को 100 रुपये में दिया जा रहा है सीमन
पशुपालन मंत्री ने बताया कि ब्राजील से लाए गए गिर नस्ल के सांडों के सीमन के उपयोग से कृत्रिम गर्भाधान करने पर राज्य में उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले बछड़े और बछड़ियां पैदा होंगे। साथ ही दुग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि अभी हमारी गिर गायों के दुध का उत्पादन औसतन प्रतिदिन 15 से 20 लीटर है जबकि इस सीमन से उत्पादन बढ़कर 50 लीटर तक हो जाएगा। यह आयातित सीमन पशुपालकों को केवल 100 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है।
इन जिलों में किया जा रहा है कृत्रिम गर्भाधान
राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार प्रथम चरण में इस सीमन का उपयोग राज्य के छह संभागों के 23 जिलों-अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, भरतपुर, पाली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ जयपुर, सीकर, अलवर, दौसा, झुंझुनुं, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांरा, करौली, सवाईमाधोपुर व धौलपुर में किया जाएगा। इसके तहत अजमेर संभाग को 830 डोज, भरतपुर संभाग को 200, जयपुर संभाग में 600, जोधपुर संभाग के पाली जिले में 150, कोटा संभाग को 400 व उदयपुर संभाग को 500 डोज वितरित की गई है।
10 हजार डोज के लिए भेजी गई डिमांड
पशुपालन मंत्री ने बताया कि पशु गणना 2019 के अनुसार राजस्थान में 10 लाख 43 हजार 312 गिर नस्ल के मवेशी हैं। गिर नस्ल के दूध, घी, छाछ व अन्य दुग्ध उत्पादों की सामान्य गायों के दुग्ध उत्पादों की तुलना में अधिक मांग है। गिर गाय के दूध को ए-2 दूध माना जाता है, जो सामान्य गाय के दूध में मौजूद ए-1 बीटा-कैसिइन से अलग होता है। ए-2 दूध को पचाने में आसान माना जाता है और कुछ लोगों में ए-1 दूध से संबंधित पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, गिर गाय के दूध में अधिक वसा और प्रोटीन होता है, जिससे यह उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के लिए बेहतर विकल्प बन जाता है।
यही कारण है कि इस नस्ल के दुग्ध उत्पादन में सुधार की दृष्टि से ब्राजील की सर्वश्रेष्ठ नस्ल (एसपेटाकुलो एफआईवी व आईवीए एफआईवी डी ब्राश) के सांड के सीमन का उपयोग किया जा रहा है। इसके पहले चरण में 2680 डोज का वितरण हो रहा है। इसके साथ ही दूसरे चरण के लिए 10 हजार डोज की डिमांड भी भारत सरकार को भेज दी गई है।
Konsi nasl ki gay achi rahati hi
गिर गाय, जर्सी, साहीवाल आदि नस्लों की गाय पशुपालन के लिए अच्छी हैं।
Kese hoga
कृत्रिम गर्भाधान से अच्छी नस्ल के पशुओं का सीमन का उपयोग करें जिससे नस्ल सुधार के ससाथ ही दूध उत्पादन बढ़ेगा।
Bareilly ke bacche kar dena ke pass mein Vijay Narayanpur gaon Bareilly ke bacche kar dena ke pass mein Vijay Narayanpur gaon mein
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Kya free hai milegi
नहीं सर सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जा रहा है। आप अपने यहाँ के पशु चिकित्सालय में संपर्क करें।
गायों पर लोन
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Gayo par lone
सर प्रोजेक्ट बनायें, इसके लिए अपने यहाँ के पशु चिकित्सालय या जिला पशुपालन विभाग में संपर्क करें। सरकार द्वारा डेयरी के लिए सहकारी बैंकों के माध्यम से कम ब्याज दरों पर भी लोन उपलब्ध कराया जा रहा है।
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