काम के बदले आनाज योजना
देश में अभी कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए लॉक डाउन चल रहा है जिसके चलते लगभग सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई है | इससे देश एवं राज्यों की आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है | बहुत से लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है जिसके कारण अब गरीब एवं दिहाड़ी मजदूरों के पास अन्न खरीदने के पैसे भी नहीं है | 11 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से मिलकर लॉक डाउन को लेकर बातचीत की | जिसमें सभी मुख्यमंत्रीयों ने अपने-अपने पक्ष रखें | जहाँ लॉक डाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ने की मांग के साथ अन्य सुझाव दिए गए | सभी मुख्यमंत्रियो ने गरीबों एवं किसानों को जो रहे नुकसान से बचाने के लिए लॉक डाउन के तहत आर्थिक गतिविधियों को बढाने की मांग भी की |
काम के बदले अनाज की तर्ज पर नई योजना लाये केन्द्र सरकार
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन के कारण कचरा बीनने वाले, रेहड़ी/रिक्शा चलाने वाले, घुमंतू एवं अन्य असहाय लोगों के जीविकोपार्जन पर खतरा मंडरा रहा है। ऎसे में भारत सरकार को ’काम के बदले अनाज’ योजना, जो कि वर्ष 2002 में अकाल-सूखे के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय लाई गई थी और बहुत लोकप्रिय एवं सफल साबित हुई थी, उसी की तर्ज पर एक योजना पुनः नये रूप में लाने पर विचार करना चाहिए। ऎसी योजना के संचालन के लिए अनाज भारत सरकार के पास बहुतायात में उपलब्ध है।
ऐसे में भारत सरकार को ’काम के बदले अनाज’ योजना, जो कि वर्ष 2002 में अकाल-सूखे के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय लाई गई थी और बहुत लोकप्रिय एवं सफल साबित हुई थी,
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 11, 2020
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किसानों से 50 प्रतिशत उपज समर्थन मूल्य पर खरीदी जाये
मुख्यमंत्री ने कहा कि रबी सीजन की फसलें बिक्री के लिए बाजार में आने को तैयार है। पीएम आशा योजना में फसल की कुल पैदावार का 25 प्रतिशत हिस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है, जो अपर्याप्त है। इस कठिन समय में किसानों को राहत देते हुए इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया जाना चाहिए। साथ ही एफसीआई एवं नैफेड द्वारा समर्थन मूल्य पर चरणबद्ध रूप से खरीद शुरू की जानी चाहिए।