सफेद मक्खी और पैराविल्ट रोग से फसल नुकसानी का मुआवजा
देश में इस वर्ष बारिश तो अधिक हुई है परन्तु अनियमित हुई है | जहाँ जून माह में अच्छी बारिश हुई तो जुलाई में कम बारिश हुई एवं अगस्त माह में अधिक बारिश हुई | जिससे फसलों को काफी नुकसान हुआ है न केवल सिर्फ जल भराव के चलते बल्कि फसलों में कीट रोग के प्रकोप के चलते भी | जहाँ मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में सोयाबीन एवं उड़द की फसल में पीला मोजेक रोग, बाजरे में सफ़ेद लट कीट का प्रकोप से किसानों की फसलें ख़राब हुई है वहीँ हरियाणा में सफ़ेद मक्खी एवं पैराविल्ट रोग के चलते कपास की फसलों को काफी नुकसान हुआ है | ऐसे में हरियाणा सरकार किसानों की फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा देने का फैसला लिया है |
फसल बीमा योजना के तहत बीमित एवं बीमित किसानों को दिया जायेगा मुआवजा
हरियाणा सरकार राज्य के सभी कपास उत्पादकों, जिनकी हाल ही में सफेद मक्खी और पैराविल्ट के कारण फसल को नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा देगी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे सभी कपास उत्पादकों, चाहे वह ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत पंजीकृत हैं या नहीं, सभी को मुआवजा दिया जायेगा |
निर्देशानुसार राजस्व विभाग से अनुरोध किया गया था कि वे उन कपास उत्पादकों के खेतों में समयबद्ध तरीके से विशेष गिरदावरी करें, जिन्होंने फसल बीमा योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है। जिन लोगों ने योजना के तहत पंजीकरण करवाया हुआ है उनको फसल कटाई प्रयोगों के दौरान नुकसान के आकलन के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। किसानों को व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने की जरूरत नहीं है क्योंकि नुकसान का आकलन ग्राम स्तर पर किया जाएगा।
सफेद मक्खी और पैराविल्ट से फसल को बचाने के लिए सलाह
कृषि विभाग द्वारा सफेद मक्खी के हमलों की रिपोर्ट के बाद विभाग ने कपास उत्पादकों को उनकी फसलों पर दो या इससे अधिक कीटनाशकों के मिश्रण का उपयोग करने के प्रति आगाह किया था। इसके बजाय किसानों को सफेद मक्खी और पैराविल्ट से निपटने के लिए नीम-आधारित उपचार का उपयोग करने और फसल की निगरानी करने की विशेष तौर पर सिंचाई या बारिश के बाद, सलाह दी गई है |