किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें परंपरागत फसलों को छोड़ अन्य फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस कड़ी में अब छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के किसान धान की खेती की बजाय व्यायसायिक स्तर पर मखाने की खेती करेंगे। मखाने की खेती के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों को दिए है।
धमतरी जिले में मखाने की खेती के लिए जिला कलेक्टर, रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों, मखाने की खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों सहित जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक, नाबार्ड और नैफेड के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की है। इस बैठक में कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर और राखी व दरगहन गांवों में मखाने की खेती कर रहे प्रगतिशील किसान भी मौजूद रहे।
मखाने की खेती के लिए किसानों को किया जाएगा तैयार
बैठक में मखाने की खेती कर रहे कृषि वैज्ञानिक डॉ. चंद्राकर ने धमतरी जिले के मौसम और लो लैंड खेतों को उपयुक्त बताया। उन्होंने धमतरी जिले में मखाना उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए बड़े पैमाने पर इसकी खेती के लिए किसानों को तैयार करने पर जोर दिया। कलेक्टर ने बैठक में वैज्ञानिक चंद्राकर से मखाने की खेती की पूरी जानकारी ली। कलेक्टर मिश्रा ने मखाने की खेती के लिए किसानों का चयन करने की जिम्मेदारी कृषि, उद्यानिकी, पंचायत-ग्रामीण विकास और मछली पालन विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों को दी।
किसानों को मखाने की खेती के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण
कलेक्टर ने कहा कि मखाने की खेती के लिए किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। मखाने के बीज से लेकर फसल की देखरेख और अच्छे उत्पादन के लिए तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। किसानों को इस बारे में पूरी जानकारी देने के लिए मखाने के खेतों का भी भ्रमण कराया जाएगा। कलेक्टर ने मखाने की खेती के लिए किसानों को कृषि और उद्यानिकी विभाग से शासकीय अनुदान और सहायता भी उपलब्ध कराने की बात कही।
उन्होंने मखाने के प्रोसेसिंग के लिए स्थानीय स्तर पर यूनिट लगाने के लिए उद्योग विभाग और नाबार्ड के अधिकारियों से भी बात की। कलेक्टर ने महकमे की खेती से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तृत विचार कर कार्य योजना बनाने और किसानों का चयन करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
धान के बदले मखाना की खेती से मिलेगा दुगुना फायदा
बैठक में कृषि वैज्ञानिक चंद्राकर ने बताया कि धान के बदले मखाना की खेती से किसान दोगुना फायदा ले सकते है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ धान की खेती से किसानों को जहां औसतन 75 हज़ार रुपए का फायदा मिलता है, वहीं एक एकड़ में मखाना की खेती से औसतन डेढ़ लाख रुपये तक का लाभ मिल सकता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. चंद्राकर ने बताया कि मखाने की फसल छह माह की अवधि की होती है। यह फसल एक फीट से लेकर डेढ़ फीट तक के पानी से भरे खेत में ली जाती है। एक एकड़ रकबे में लगभग चार हज़ार पौधों का रोपण किया जाता है, जिससे औसतन दस क्विंटल उपज मिलती है। डॉ चंद्राकर ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में उगने वाला मखाना साइज में बड़ा और स्वाद में अन्य राज्यों के मखाने से बेहतर है। इसे बीज के रूप में बेचने पर डेढ़ से दो लाख रुपए प्रति एकड़ और प्रोसेसिंग कर बेचने पर प्रति एकड़ तीन लाख रुपए तक का फायदा लिया जा सकता है। डॉ. चंद्राकर ने धमतरी जिले के किसानों को मखाने की खेती के लिए हरसंभव सहायता निःशुल्क देने का भी आश्वासन जिला प्रशासन को दिया।