बिहार सरकार ने राज्य में अब खरीफ सीजन को शारदीय और रबी सीजन को वासंतिक अभियान करने की घोषणा की है। यह घोषणा राज्य के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बामेती सभागार में राज्यस्तरीय ख़रीफ़ महाभियान सह कर्मशाला का उद्घाटन के दौरान की। उन्होंने कहा कि खेती के ये दोनों शब्द अरबी के है जबकि अब भी गांव में बरसात की फसल और जाड़े की फसल के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी की वजह से हमारी ख़ुद की संस्कृति खत्म होती जा रही है। इसे जागृत करने की पहल शुरू कर दी गई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि वह शारदीय और वासंतिक अभियान नाम रखने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को प्रस्ताव देने जा रहे हैं। किसानी हमारी संस्कृति रही है। संस्कृति को सहजने के लिए कम से कम तकनीकी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। सरल हिंदी शब्दों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। इस भाषा का प्रयोग से किसान पदाधिकारियों के साथ सहजता से जुड़ सकेंगे। उन्होंने सभी अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन गाँव और खेत में जाकर काम करने का निर्देश दिया है।
किसानों को बीज देने के साथ होगी मिट्टी की जांच
कार्यक्रम में कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि शारदीय अभियान में प्याज की खेती होगी। इसके साथ ही दक्षिण बिहार में इस साल मानसून सीजन में मक्का, अरहर, ज्वार और बाजरे की खेती भी की जाएगी। जिन किसानों को बीज दिया जाएगा उनके खेत की मिट्टी की जांच की जाएगी। इससे किसानों को खेत की मिट्टी के अनुसार संतुलित उर्वरक उपयोग करने की सलाह दी जाएगी। जिससे उत्पादन की लागत घटेगी और गुणवत्ता में सुधार होगा।
उन्होंने शारदीय अभियान में विभिन्न फसलों पर प्रत्यक्ष कार्यक्रम चलाकर किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से खेती हेतु प्रोत्साहित करने की बात कही। उन्होंने कहा की तकनीकी जानकारी, उन्नत बीज, कृषि यंत्र, जैविक पद्धतियां और डिजिटल नवाचारों को अपनाकर बिहार कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जा सकता है।
वहीं पीपीएम धनंजयपति त्रिपाठी ने कहा कि शारदीय अभियान में किसानों को बदलते मौसम के परिवेश में धान की सीधी बुआई, जीरो टिलेज से धान की खेती, दलहनी फसलों की वैज्ञानिक खेती, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति की उपयोगिता आदि की जानकारी दी जाएगी।