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मिट्टी में कैल्शियम और सल्फर की कमी होगी दूर, सरकार जिप्सम पर दे रही है 75 प्रतिशत अनुदान

जिप्सम एक महत्वपूर्ण खनिज है जिसमें 23 प्रतिशत कैल्शियम और 18.6 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है। जिससे धान, दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है। सरकार किसानों को जिप्सम की खरीद पर 75 प्रतिशत अनुदान दे रही है।

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य मिट्टी का होना अति आवश्यक है, ऐसे में मिट्टी की सेहत सुधारने और मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जिप्सम पर अनुदान दिया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि राज्य सरकार मिट्टी में सूक्ष्म तत्वों की कमी को दूर करने, सल्फर की मात्रा बढ़ाने तथा क्षारीय एवं लवणीय भूमि सुधार हेतु कृषि योजना के अंतर्गत 75 प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम उपलब्ध करा रही है।

उन्होंने बताया कि विभागीय पोर्टल पर पंजीकृत सभी श्रेणियों के लाभार्थी किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर की सीमा तक 3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से जिप्सम ख़रीद सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिप्सम एक महत्वपूर्ण खनिज है जिसमें 23 प्रतिशत कैल्शियम और 18.6 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है। इसके इस्तेमाल से मृदा के भौतिक और रासायनिक गुणों में सुधार होता है, साथ ही क्षारीय/ ऊसर भूमि के पीएच मान में संतुलन, मिट्टी की संरचना में सुधार के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है।

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जिप्सम से धान की फसल को मिलने वाले लाभ

कृषि मंत्री ने बताया कि जिप्सम में कैल्शियम और सल्फर की उपस्थिति से पौधों का विकास बेहतर होता है, जिससे उनकी जड़ें मजबूत होती हैं और वे अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित कर पाती हैं। कैल्शियम और सल्फर धान के विकास और अच्छी उपज के लिए आवश्यक हैं। जिप्सम क्षारीय और लवणीय भूमि में उपस्थित सोडियम को कैल्शियम से विस्थापित करता है। कैल्शियम मृदा की भौतिक और रासायनिक संरचना में सुधार का मुख्य घटक होने के कारण मृदा की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे धान की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होता है और दाने अधिक मोटे और चमकदार होते हैं।

जिप्सम की फसल से अन्य फसलों को होने वाले फायदे

सूर्य प्रताप शाही ने दलहनी और तिलहनी फसलों में जिप्सम के उपयोग के बारे में बताया कि जिप्सम का उपयोग दलहनी फसलों में राइजोबियम जीवाणुओं की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि करता है, जबकि तिलहनी फसलों में यह तेल की मात्रा और पौधों के विकास को बढ़ाता है। इस प्रकर दलहनी और तिलहनी फसलों में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

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कृषि मंत्री ने प्रदेश के सभी किसानों से अपील कि है वे अपने-अपने क्षेत्र के राजकीय बीज गोदाम से 75 प्रतिशत अनुदान पर अधिकतम 2 हेक्टेयर तक की सीमा के अंतर्गत 3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से अपने-अपने खेतों में जिप्सम डालकर मृदा की भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार के साथ अधिकतम पैदावार प्राप्त करें।

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