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11 नवम्बर तक घर-घर जाकर पशुओं को निःशुल्क लगाया जाएगा खुरपका-मुंहपका रोग का टीका

पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इसमें पशुओं में लगने वाले विभिन्न रोगों से बचाव के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत पशुओं का निःशुल्क टीकाकरण किया जाता है। इस कड़ी में बिहार पशु पालन विभाग द्वारा खुरपका और मुँहपका रोग के नियंत्रण के लिए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।

अभियान के तहत राज्य के सभी जिलों के प्रत्येक गाँव में घर-घर जाकर पशुओं का खुरपका और मुंहपका रोग के विरुद्ध निःशुल्क टीकाकरण किया जाएगा। यह अभियान 23 अक्टूबर 2024 से लेकर 11 नवम्बर 2024 तक चलेगा। जिसमें विभाग के टीकाकर्मियों द्वारा प्रतिदिन सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक पशुओं को टीका लगाया जाएगा।

खुरपका मुँहपका टीकाकरण अभियान की मुख्य बातें

  • इस अभियान में टीकाकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर गाय एवं भैंस का खुरपका-मुँहपका रोग से बचाव हेतु निःशुल्क टीकाकरण किया जाएगा।
  • कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी जिलों में लगभग 226.43 लाख योग्य पशुओं का निःशुल्क टीकाकरण किया जाएगा।
  • किसी भी पशु का टीकाकरण नहीं होने अथवा टीकाकरण के दौरान राशि की मांग करने की शिकायत पशुपालन निदेशालय, बिहार, पटना के फोन नंबर 0612-2230942 पर की जा सकती है।
  • पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों से अपील की गई है कि कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठायें और अपने गाय और भैंस को खुरपका और मुंहपका रोग से बचाएं।
  • कार्यक्रम की विशेष जानकारी निकटवर्ती पशु चिकित्सालय या संबंधित ज़िला पशुपालन कार्यालय अथवा पशु स्वास्थ्य उत्पादन संस्थान, बिहार, पटना फोन नंबर 0612-2226049 से प्राप्त की जा सकती है।
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क्या होता है खुरपका-मुंहपका रोग (Foot and Mouth Diseases)

यह एक संक्रामक रोग है जो रोग ग्रस्त पशुओं से स्वस्थ्य पशुओं में केवल संपर्क से ही नहीं बल्कि चारा, दाना तथा हवा से भी फैलता है। इसमें पशु की मृत्यु होने की संभावना तो कम होती है परन्तु मादा पशुओं का दुग्ध उत्पादन, उनकी गर्भधारण क्षमता और बैलों/भैसों के कार्य करने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

खुरपका-मुंहपका रोग (Foot and Mouth Diseases) के लक्षण

  • इसमें पशुओं को तेज बुखार आता है, पशु बैचेन रहता है खाना-पानी बंद कर देता है और उसका दूध भी घट जाता है।
  • मसूड़े, जीभ और खुरों में छाले निकल आते हैं जिनके फूटने पर घाव बन जाते हैं।
  • मुँह और पैरों में छालों की वजह से मुंह से अधिक झागदार लार निकलती है और पशु लँगड़ाने लगता है।

खुरपका-मुंहपका रोग (Foot and Mouth Diseases) का उपचार

  • सारे पशुओं की नियमित रूप से टीका लगवाना चाहिए।
  • जिस गाँव में खुरपका-मुंहपका रोग फैल रहा है वहाँ स्वस्थ्य पशुओं को टीका लगवाना चाहिए, किंतु ध्यान रखें कि हर पशु के लिये अलग सुई का प्रयोग हो।
  • बीमार जानवरों को स्वस्थ्य जानवरों से अलग कर साफ-सुथरे और सूखे स्थान में रखना चाहिए और उन्हें इधर-उधर घूमने नहीं देना चाहिए।
  • खुरपका-मुंहपका रोग के उपचार के लिए पशुपालक लाल दवा (पोटेशियम परमैंगनेट) के 1:1000 के घोल से मुँहपका-खुरपका के घावों को धोयें। साथ ही पशु चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
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