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गुरूवार, अप्रैल 25, 2024
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सीताफल की खेती से किसान कर सकते हैं लाखों की कमाई

सीताफल की खेती से करें व्यवसाय

सीता फल अपनी सुगंध एवं स्वाद से सभी को अपनी ओर आकर्षित करने वाला फल है जो कि उत्तर भारत के किसान के साथ जीवन यापन से जुडा हुआ है | इसकी खेती में सबसे बड़ी विशेषता यह है की फल को तुडाई के बाद भी महीनों रखा जा सकता है | इससे यह फायदा होता है की किसान अच्छे मूल्य मिलने पर ही बेचते हैं | लेकिन अच्छी तकनीकी जानकारी नहीं रहने पर उत्पादन में कमी के आलावा किसान फल को पकने से पहले ही तोड़ देते हैं | इसलिए यह जरुरी है की सीताफल की अच्छी खेती के लिए जानकारी होना जरुरी है |

सीताफल की प्रोसेसिंग करें 

ज्यादा तर किसान सीताफल को बेचते हैं जिससे इसकी कीमत कम मिलता है | अगर इस फल का प्रोसेसिंग कर के बेचा जाए तो अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकता है | सीताफल के गुद्दे की बाजार में बहुत मांग है | इसके गुदे निकालने के लिए एसी तकनीक विकसित की गई है जिससे बिना किसी प्रकार के नुकसान के कम समय में अधिक गुदा प्राप्त किया जा सकता है | इससे एक दिन में 700 – 800 कि.ग्रा. गुदा निकाल सकती है |  महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर के वैज्ञानिकों ने शरीफा से गूदा निकालने की ऐसी तकनीक और मशीन विकसित की है जिससे इसमें भूरापन नहीं आएगा।

सीता फल की बाजार में क्यों अधिक मांग है ?

सीताफल का प्रसंस्करण कर के गुद्दे से कई खाध पदार्थ व उत्पाद बनाये जा रहे हैं जिनमे आईसक्रीम, शरबत, जेम, रबड़ी, बासुन्दी, शेक, पाउडर इत्यादि बनाएं जा सकते है | गुदा निकालने के बाद छिलके और बीजों का भी लाभकारी उपयोग किया जा सकता है |

सीता फल के बीजों से निकाले गए तेल का उपयोग दलहनी के भंडारण के दौरान लगने वाले कीटों की रोकथाम के साथ – साथ फसलों में में लगने वाले कीटों के नियंत्रण हेतु भी प्रयोग में लिए जा रहा है जो एक वातावरण हितैषी कीटनाशक पाया गया है | सीताफल के छिलकों से बनाया गया क्म्पोष्ट खाद फसलों के लिए काफी लाभदायक पाया गया है |

तकनीक के लाभ ?

  1. गुदा निकालने की लागत में काफी कमी
  2. अच्छी गुणवत्ता वाले स्वस्थ्य गुदे की प्राप्ति
  3. बाजार की मांग की पूर्ति समय
  4. साल भर गुदे की उपलब्धता
  5. भरपूर मात्रा में बीजों की उपलब्धता के कारण इससे औषधीय गुणों वाले तत्वों की निकाला जा सकता है |
  6. तुडाई उपरान्त होने वाली बर्बादी में कमी

इस तकनीक के व्यवसायीकरण की संभावनाएँ

  1. एक किलोग्राम फलों के प्रसंस्करण से लगभग 20 रूपये की बचत |
  2. मशीन लगभग 1 टन प्रतिदिन गुदा निकाल सकती है |
  3. देश में लगभग 5,000 टन गुदे की मांग |
  4. उपरोक्त मात्रा में गुदा प्राप्त करने के लिए लगभग 20,000 टन फलों की आवश्यकता होगी |
  5. पुरे देश में जहाँ – जहाँ सीताफल होता है 100 यूनिट लगाकर इस मांग की पूर्ति हो सकती है |
  6. राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तेलगाना, महाराष्ट्र , गुजरात और छतीसगढ़ राज्यों में यह यूनिट लगाई जा सकती है |

सीताफल पल्प निकालने की तकनीक की अधिक जानकरी के लिए क्लिक करें 

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