back to top
गुरूवार, मार्च 28, 2024
होमकिसान चिंतनभावान्तर भुगतान योजना में किसानों के नाम पर व्यापारियों को फायदा

भावान्तर भुगतान योजना में किसानों के नाम पर व्यापारियों को फायदा

भावान्तर भुगतान योजना में किसानों के नाम पर व्यापारियों को फायदा

पिछले वर्ष 1 जून से 10 जून 2017 तक मध्य प्रदेश में किसानों के द्वारा गांव बंद का आंदोलन किया गया था इस आंदोलन में भी किसानों ने गांव से शहर के लिए दूध तथा सब्जी की आपूर्ति सप्लाई बंद कर दी थी | यह आंदोलन 5 जून तक हिंसक हो गया तथा 6 जून को पुलिस के द्वारा 6 लोगों जान चली गई थी | यह आन्दोलन का मुख्य कारण  फसलों की सही कीमत नहीं मिलना था | इस आंदोलन के कारण मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को अनशन पर भी बैठना पढ़ा था |

इस आंदोलन के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए भवान्तर योजना की शुरुआत की | इस योजना की घोषणा करते हुये मध्य प्रदेश सरकार ने बताया था की मंडियों में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित नहीं रहेगा | भवान्तर योजना इस तरह से पेश किया गया जैसे मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए हनुमान बनकर संजीवनी बूटी खोज ली है तथा किसानों के द्वारा उठाये जा रहे सभी तरह की मांग की समाप्त हो गई है |

योजना से लाभ किसे 

इस योजना का मतलब बड़ा ही साफ है की किसानों के नाम पर व्यपारियों को लुटने की प्रमाणपत्र देना | सरकार के द्वारा जब यह कहा गया की व्यपारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल खरीदता है तो उसकी भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी, इसका मतलब सरकार यह बताना चाहती है की व्यपारी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल की खरीदारी करे | जब केंद्र सरकार 24 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करती है तो फिर भावान्तर जैसी योजना किस लिए है |

मध्य प्रदेश के सभी मंडियों में व्यापारी वर्ग फसलों की मूल्य कम लगा रहे हैं | आज यह हालत है की किसान ने भावान्तर से जुडा है उसके फसलों की मूल्य और भी कम हो जाता है | व्यपारी वर्ग का यह कहना है की कम मूल्य की भरपाई सरकार भावान्तर योजना से कर देगी | इसके कारण व्यपारी वर्ग को पहले से भी कम मूल्य पर फसल की खरीदी कर रहे हैं तथा सरकार इस पर रोक भी नहीं लगा रही है क्योंकि सरकार की मंशा साफ है की किसान के नाम पर व्यपारी वर्ग को फायदा पहुँचाना | इससे व्यापारी वर्ग राजनीती दलों को चंदा देती है |

भावान्तर योजना में कमियाँ 

इसके साथ ही भावान्तर योजना में दो और कमी है जिसकी जिम्मेदारी लेने को कोई भी तैयार नहीं है | सरकार भावान्तर योजना की मूल्य तय करने के लिए एक माडल रेट तय करती है | माडल रेट से फसल का मूल्य कम रहा तो इस कमी को पूरा न तो सरकार कर रही है और नहीं व्यपारी वर्ग कर रहें है |

दूसरा कमी यह है की इसकी भुगतान फसल के विक्री के साथ नहीं किया जाता है तथा इसकी कोई समय सीमा भी निर्धारित नहीं है | अब तो किसानों का यह भी कहना है की उसका भावान्तर भुगतान हुआ ही नहीं है जब की भवान्तर योजना के तहत ही फसल विक्रय की है | सरकार ने भावान्तर योजना का प्रचार तो बहुत किया है लेकिन इससे मिलने वाले लाभ की जानकारी कम ही दी है |

सरकार किसानों के नाम पर व्यापरियों को अधिक लाभ पहुंचा रही है परन्तु हैरत की बात यह है की राज्य में विपक्षी पार्टी ने भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोला या तो इस योजना को सही तरीके से समझा ही नहीं या फिर किसानों के मुद्दे को संवेदनशील मानते हुये चुप रहना ही बेहतर समझा | इससे यह हुआ की इस भ्रष्ट योजना को हरियाणा में लागु कर दिया गया है |

2 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

ताजा खबरें

डाउनलोड एप