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गुरूवार, मार्च 28, 2024
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इस समय सोयाबीन की फसल में लगने वाली इल्लियों एवं कीट-रोगों को किसान इस तरह करें खत्म

सोयाबीन में इल्ली एवं कीटों का नियंत्रण

अधिकांश स्थानों पर सोयाबीन की फसल को लगाये हुए एक महीना या इससे अधिक समय बीत चुका है। इस दौरान अच्छी बारिश का एक दौर भी निकल चुका है। कई क्षेत्रों में अधिक वर्षा से जल भराव तो कई क्षेत्रों में कम वर्षा की स्थिति भी इस दौरान बनी है। इसके बाद कई क्षेत्रों में लगातार तेज धूप का मौसम बना हुआ है, जिसके कारण सोयाबीन की फसल में कई तरह की इल्लियों एवं कीटों का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसे में किसान समय पर इन कीट-रोगों का नियंत्रण कर सकें इसके लिए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के द्वारा सलाह जारी की गई है। 

इस मौसम में सोयाबीन की फसल में अभी मुख्यतः चक्र भृंग, तना मक्खी, तम्बाकू की इल्ली एवं पत्ती खाने वाली अन्य इल्लियों के अलावा पीला मोज़ेक एवं एरियल ब्लाइट रोग लगने की सम्भावना अधिक रहती है। ऐसे में किसान इस तरह इन कीट रोगों पर नियंत्रण पा सकते हैं:-

चक्र भृंग Girdle Beetle एवं पत्ती खाने वाली इल्ली का नियंत्रण

जारी की गई सलाह में कहा गया है कि जहाँ पर केवल चक्र भृंग का प्रकोप हो, नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी.(250–300 मिली/हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे.) या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1 ली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली./हे.) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।

चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 9.30%+ लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.60% ZC (200 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या पूर्वमिश्रित थायमिथक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

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जहां पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें:-

क्विनालफाँस 25 ई.सी. ( 1 ली/हे), या ब्रोफ़्लानिलिड़े 300 एस.सी.( 42-62 ग्राम/हे), या फ़्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस.सी. (333 मिली/हे), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी (250-300 मिली/हे) या नोवाल्यूरोन +  इंडोक्साकार्ब 04.50% एस.सी. (825-875 मिली/हे) में से किसी एक दवा का छिड़काव कर सकते हैं। 

तना मक्खी एवं तम्बाकू की इल्ली का नियंत्रण

जहाँ पर केवल तना मक्खी का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 9.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें। जहाँ पर केवल तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह है, इससे पत्ती खाने वाली अन्य इल्लियाँ (चने की इल्ली या सेमीलूपर इल्ली) का भी नियंत्रण होगा।

लैम्बाडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या किव्नालफाँस 25 ई.सी. (1 ली./हे.) या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली./हे.) या इमामेक्टिन बेंजोएट 1.90 (425 मिली./हे.) या ब्रोफ्लानिलिड़े 300 एस.सी. (42–62 ग्राम/हे.) का छिडकाव करें।

पीला मोज़ेक एवं एरिअल ब्लाइट रोग का नियंत्रण

सोयाबीन में पीला मोजेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत में उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मिली./हे. (या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 350) मिली./हे. का छिड़काव करें | इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु किसान अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

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कुछ क्षेत्रों में रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट का प्रकोप होने की सूचना प्राप्त हुई है। किसानों के लिए सलाह है कि नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाझोल 5% ईसी (1 मिली./हे. पानी) का छिड़काव करें।

जैविक खेती करने वाले किसान इस तरह करें सोयाबीन में कीट-रोग का नियंत्रण

  • ऐसे किसान जो जैविक सोयाबीन उत्पादन में रुचि रखते हैं वे किसान पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली) की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1 ली./हे.) का प्रयोग कर सकते हैं, यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच का भी उपयोग कर सकते हैं |
  • सोयाबीन की फसल में तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली के प्रबंधन के लिए बाजार में उपलब्ध कीट–विशेष फिरोमोन ट्रैप्स एवं वायरस आधारित एन.पी.वी. (250 एल.ई./हे.) का उपयोग करें।
  • सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड–पर्चेस लगाये। इससे कीट भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मितली है |

किसान इन बातों का रखें ध्यान

  • अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं 3 से 4 जगह के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि हैं तो कीड़ों की अवस्था क्या हैं? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनाये।
  • कीटनाशक या खरपतवारनाशक के छिड़काव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें। (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे. या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर/हे. न्यूनतम)
  • किसी भी प्रकार कृषि–आदान ख़रीद करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बेच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखी हुई हो।

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