सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृति
खेती में सिंचाई का महत्वपूर्ण स्थान है, जहां सुनिश्चित पानी की सुविधा उपलब्ध होती है वहाँ पैदावार भी अधिक मिलती है साथ ही किसान एक वर्ष में एक से अधिक फसलों की खेती भी आसानी से कर सकते हैं। खेती में सिंचाई के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा लगातार नई-नई सिंचाई परियोजनाएँ लगाई जा रही हैं जिससे अधिक से अधिक भूमि को सिंचित बनाया जा सके।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई। बैठक में मंत्रि-परिषद ने रीवा, बुरहानपुर और सिंगरौली में 900 करोड़ रूपये से अधिक की सिंचाई परियोजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति दे दी है। इन परियोजनाओं से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी।
इन सिंचाई परियोजनाओं को मिली स्वीकृति
- रीवा में त्योंथर माइक्रो सिंचाई परियोजना लागत राशि 89 करोड़ 83 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की। परियोजना से त्योंथर तहसील के 52 ग्रामों की 7600 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी।
- बुरहानपुर जिले की पांगरी मध्यम (होज) सिंचाई परियोजना लागत राशि 145 करोड़ 10 लाख रुपये की सिंचाई क्षमता 4400 हेक्टेयर रबी सिंचाई के लिये प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की। परियोजना से खकनार तहसील के 10 ग्रामों को भूमिगत पाइप लाइन से सूक्ष्म सिंचाई (होज) पद्धति से सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी।
- मंत्रि-परिषद ने सिंगरौली जिले की सिंगरौली एवं माड़ा तहसील के 38 हजार हेक्टेयर सैंच्य क्षेत्र में भूमिगत पाइप लाइन से उच्च दाब पर सूक्ष्म सिंचाई (स्प्रिंकलर) पद्धति के द्वारा 113 ग्रामों में सिंचाई सुविधा के लिए रिहन्द सूक्ष्म सिंचाई परियोजना लागत राशि 672 करोड़ 25 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी।
कयामपुर-सीतामऊ वृहद सिंचाई परियोजना को भी मिली स्वीकृति
राज्य शासन द्वारा मंदसौर जिले के सुवासरा विधानसभा क्षेत्र की महत्वाकांक्षी कयामपुर-सीतामऊ दाबयुक्त सूक्ष्म वृहद सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गयी है। पर्यावरण मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग की पहल पर 2374 करोड़ रूपये लागत की इस योजना को 5 अप्रैल 2022 को मंत्रि-परिषद द्वारा स्वीकृति दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि इस परियोजना से मंदसौर जिले के 252 गाँवों का एक लाख 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा। योजना के पूर्ण होने पर सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक गाँव और खेत तक चम्बल का पानी पहुँचेगा। इससे किसानों की आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।