किसानों की आय में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में बिहार सरकार ने राज्य में किसानों की आय में वृद्धि, कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फ़ैसला लिया है। बिहार सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में प्याज क्षेत्र विस्तार योजना की शुरुआत की है। योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार ने कुल 2 करोड़ दो लाख 12 हजार 5 सौ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है।
सरकार का उद्देश्य खरीफ सीजन में प्याज की खेती के क्षेत्र विस्तार कर कुल उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है ताकि किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिल सके। योजना को प्रदेश के 18 जिलों में लागू किया जाएगा। इसमें प्याज की खेती करने वाले किसानों को इकाई लागत का 75 फीसदी अनुदान मिलेगा।
प्याज की खेती के लिए कितना अनुदान मिलेगा?
बिहार सरकार द्वारा प्याज क्षेत्र विस्तार योजना को राज्य के 18 जिलों में लागू किया गया है। जिसमें बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, गोपालगंज, लखीसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना, रोहतास, समस्तीपुर, सारण, शेखपुरा, सीतामढ़ी, सिवान एवं वैशाली जिले शामिल हैं।
कृषि विभाग की ओर से प्याज की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 10 किलो बीज की आवश्यकता निर्धारित की गई है। बीज का वितरण 2450 रुपए प्रति किलोग्राम या वास्तविक दर जो भी कम हो लाभार्थी किसानों को दिया जाएगा। प्रति हेक्टेयर 24,500 रुपए की अनुमानित लागत पर किसानों को 75 प्रतिशत अधिकतम 18,375 रुपए का अनुदान मिलेगा। योजना का लाभ न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) तथा अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) के लिए दिया जाएगा।
अनुदान पर प्याज की खेती के लिए आवेदन कहाँ करें?
प्याज का क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान यह आवेदन उद्यान निदेशालय, बिहार के विभागीय पोर्टल horticulture.bihar.gov.in पर कर सकते हैं। योजना अन्तर्गत बीज की उपलब्धता बिहार राज्य बीज निगम द्वारा संबंधित जिलों में सुनिश्चित की जायेगी। इच्छुक किसान भूमि स्वामित्व प्रमाण-पत्र/दो वर्ष पूर्व से अद्यतन राजस्व रसीद/ऑनलाईन अद्यतन रसीद/वंशावली/एकरारनामा (विहित प्रपत्र) के आधार पर विधि मान्य भू-स्वामित्व का प्रमाण-पत्र में से कोई एक उपस्थापित करना अनिवार्य होगा। यदि आवेदक का नाम भूमि-स्वामित्व/राजस्व रसीद में स्पष्ट नहीं है, तो भूमि-स्वामित्व/राजस्व रसीद के साथ वंशावली लगाना अनिवार्य होगा। गैर-रैयत किसान एकरारनामा के आधार पर योजना का लाभ ले सकते हैं।