फसलों की लागत कम करने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, इसमें ड्रोन तकनीक प्रमुख है। किसान ड्रोन की मदद से कम समय एवं कम लागत में फसलों पर दवाओं और उर्वरक का छिड़काव कर सकते हैं। ड्रोन के महत्व को देखते हुए सरकार द्वारा किसानों को ड्रोन खरीद पर अनुदान के साथ ही फसलों पर दवाओं के छिड़काव के लिए भी अनुदान दिया जा है।
इस कड़ी में बिहार के कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कृषि भवन परिसर में कृषि कार्य में ड्रोन की उपयोगिता के प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में 6 जिले पटना, सिवान, सारण, भोजपुर, वैशाली एवं नालंदा के सैकड़ों प्रगतिशील किसान, पटना जिले के 100 से अधिक जीविका दीदियों तथा इफको के माध्यम से प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।
ड्रोन से दवा छिड़काव और ड्रोन खरीद के लिए दिया जाएगा अनुदान
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों का उपयोग किसानों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु किया जा रहा है, जिससे भारतीय कृषि में तेजी से प्रगति हुई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत 2024-25 में सभी 101 अनुमंडलों में एक-एक कृषि ड्रोन के क्रय पर सरकार द्वारा 60 प्रतिशत या अधिकतम 3.65 लाख रुपए के अनुदान की व्यवस्था की गई है। योजना अंतर्गत निर्धारित छिड़काव शुल्क का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 240 रुपये प्रति एकड़ सहायता अनुदान दिया जाएगा।
ड्रोन से फसलों पर सटीक मात्रा में किया जाता है उर्वरकों का छिड़काव
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के बीच ड्रोन तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कीटनाशकों के अनुप्रयोग में ड्रोन का उपयोग करने की असीम संभावनाएं है। ड्रोन से फसलों पर सटीक मात्रा में पौधा संरक्षण रसायनों एवं उर्वरकों का छिड़काव किया जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा नमो ड्रोन दीदी योजना अंतर्गत जीविका के महिला समूहों को 201 ड्रोन वितरण की योजना है। केंद्र सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना के लिए 1261 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।
ड्रोन की मदद से किए जा सकते हैं यह काम
कृषि मंत्री पांडेय ने कहा कि ड्रोन तकनीक पारंपरिक खेती के तरीकों को बदलकर किसानों को निरंतर स्मार्ट खेती को ओर ले जा रही है। नवीनतम तकनीक से भारतीय कृषि में तेजी से प्रगति हुई और किसानों द्वारा प्रौद्योगिकी से लाभ हुआ है। तकनीक से मिट्टी और कृषि योग्य भूमि का विश्लेषण किया जा सकता है। निरंतर फसलों की निगरानी की जा सकती है। ड्रोन के जरिये इंसान को कम मेहनत लगेगी। डेटा एकत्र करने और कृषि उत्पादों के प्रयोग में ड्रोन की मदद से नए सेवा मॉडल विकसित किए जा सकते हैं। अब महिलाएं भी ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त कर योगदान दे रही है।
इस अवसर पर कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत पोपुलराइजेसन ऑफ एरियल स्प्रे ऑफ पेस्टीसाइड एण्ड लिक्विड फर्टिलाइजर बाई ड्रोन इन पीपीपी मोड योजना अंतर्गत वर्ष 2024-25 में राज्य के सभी 101 अनुमंडलों में एक-एक कृषि ड्रोन की व्यवस्था अनुदानित दर पर किया जाएगा।