गोबर से बिजली बनाने निसरग्रुना टेक्नोलॉजी का होगा उपयोग
देश में गोबर का उपयोग प्राचीन समय से ही किया जा रहा है परंतु अब गोबर का उपयोग नवीनतम तकनीकों में भी किया जा रहा है। इस कड़ी में अब छत्तीसगढ़ सरकार गोबर से बिजली बनाने एवं खाद्य पदार्थों के संरक्षण के लिए करने जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ट्राम्बे मुम्बई से गोबर से विधुत उत्पादन की आधुनिक तकनीक निसरगुरना के हस्तांतरण के लिए छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के साथ एमओयू किया है | गौठानों में गोबर एवं कृषि अपशिष्ट से बिजली एवं जैव ईंधन के उत्पादन के लिए संयंत्र लगाए जाएंगे |
छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में पिछले 2 वर्षों से राज्य में गोधन न्याय योजना चला रही है | इसके तहत राज्य के पशुपालकों से 2 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदा जाता है | इस गोबर से गौठानों पर जैविक उर्वरक बनाया जाता है, जिसे कम दरों पर फिर किसानों को बेचा जाता है | गौठान चलाने का काम राज्य की अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की महिलायें करती है |
फल, सब्जी एवं दालों को खराब होने से बचाया जाएगा
राज्य सरकार इन गौठानों में बिजली बनाने तथा जैव ईंधन उत्पादन करने जा रही है | इस बिजली का उपयोग आधुनिक तकनीक के जरिये खाद्ध पदार्थों विशेषकर फल, सब्जी और दालों को जल्दी से खराब होने से बचाने में और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में किया जायेगा |
इस मौके पर राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने विकिरण टेक्नॉलजी का खाद्ध उत्पादनों की सेल्फ–लाइफ बढ़ाने, उनकी गुणवत्ता की सुरक्षा और सुधार के लिए उपयोग किया जाता है | इसका उपयोग आलू, प्याज, सब्जी, दलहन, अदरक और मसालें सहित उद्धानिकी फसलों की सेल्फ–लाईफ बढ़ाने के लिए किया जाता है | इससे छत्तीसगढ़ के उत्पादों का अमेरिका, यूरोप के देशों में निर्यात करने में मदद मिलेगी | उन्होंने बताया कि बोर्ड ऑफ़ रेडिएशन एंड आइसोटॉप टेक्नोलांजी द्वारा छत्तीसगढ़ के विशेष उत्पादनों जैसे इमली और महुआ की सेल्फ–लाइफ बढाने के लिए इस तकनीक के उपयोग पर अनुसंधान किया जाएगा | बी.आर.आई.टी. द्वारा छत्तीसगढ़ को टेक्नॉलजी देने के साथ यहाँ के लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा | विकिरण टेक्नॉलजी से संसाधित उत्पादों का सर्टिफिकेशन भी किया जाएगा |
Up sultanpur me kabtak KHAREDDARE hogi
सर अभी उत्तर प्रदेश में गोबर ख़रीदी के लिए योजना नहीं हैं।