अधिकांश स्थानों पर खरीफ फसलों की बुआई का काम पूरा हो चुका है, अब फसलें बढ़वार की अवस्था में हैं। ऐसे में किसान फसलों को कीट-रोगों और खरपतवार से बचाकर अधिक से अधिक उपज ले सकें इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों के खेतों का भ्रमण कर उन्हें आवश्यक सलाह दी जा रही है। इस कड़ी में राजस्थान के दौसा जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम ने फील्ड भ्रमण कर खरीफ फसलों में कीट-रोग प्रकोप का जायजा लिया।
इस दौरान कृषि प्रशिक्षण अधिकारी अशोक कुमार मीना ने किसानों को कृषि विभाग द्वारा संचालित अनुदान की विभिन्न योजनाओं जैसे कांटेदार तारबंदी, फॉर्म पौंड निर्माण, सिंचाई पाइप लाइन, कृषि यंत्र, फवारा संयंत्र, पॉली हाउस, शेड नेट हाउस, सोलर संयंत्र, फलदार बगीचा स्थपना, बूँद-बूँद सिंचाई पद्धति सहित विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। इच्छुक पात्र किसान कृषि विभाग योजनाओं पर अनुदान के लिए राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करवाए ताकि योजनाओं से लाभान्वित किया जा सके।
बाजरा और मूंगफली में सफेद लट के नियंत्रण की दी सलाह
कृषि प्रशिक्षण अधिकारी अशोक कुमार मीना ने बताया कि क्षेत्र में बाजरा फसल में सफेद लट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। इसकी ग्रब बाजरे के पौधों की छोटी जड़ों को काट कर नष्ट कर देती है जिससे बाजरे की फसल धीरे-धीरे सूख कर नष्ट हो जाती है। जिससे फसल में नुकसान होता है।
उन्होंने बताया कि किसान सफेद लट नियंत्रण के लिए बाजरा व मूंगफली की खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 % SL 500 मिलीलीटर या क्यूनालफॉस 25 EC 4 लीटर दवाई प्रति हैक्टेयर की दर से 80 से 100 किलोग्राम सूखी मिट्टी या बजरी में मिलाकर वर्षा आने से कुछ समय पहले भुरकाव करें। यदि वर्षा नही हो रही है तो फव्वारा चला कर सिंचाई करें ताकि कीटनाशक पानी के साथ घुलकर जड़ क्षेत्र तक जाए जिससे सफदे लट की ग्रब को नष्ट किया जा सके। मानसून की पहली वर्षा से 21 दिन तक लट की पहली व दूसरी अवस्था को नियंत्रण करना आसान रहता है। भ्रमण के दौरान सहायक कृषि अधिकारी भीम सिंह मीना, कृषि पर्यवेक्षक दीनदयाल व क्षेत्र के किसान मौजूद रहे।