देश में अधिकांश स्थानों पर खरीफ फसलों की बुआई का काम पूरा हो गया है। इस समय पर फसलों में विभिन्न कीट एवं रोगों के प्रकोप की संभावना सबसे अधिक होती है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा लगातार किसानों के खेतों पर जाकर उन्हें फसलों में लगने वाले कीट-रोगों से बचाव के लिए सलाह दी जा रही है। इस कड़ी में राजस्थान के दौसा जिले के कृषि अधिकारियों की टीम ने जसोता में फील्ड भ्रमण कर फसलों का जायज़ा लिया और किसानों को फड़का व सफेद लट नियंत्रण की सलाह दी।
कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम ने जसोता गांव फील्ड भ्रमण कर खरीफ फसलों में कीट-रोग प्रकोप का जायज लिया। कृषि अधिकारी (प्रशिक्षण) दौसा अशोक कुमार मीना ने बताया की क्षेत्र में बाजरा फसल में सफेद लट व फड़का कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि सफेद लट की ग्रब बाजरे के पौधों की छोटी जड़ों को काट कर नष्ट कर देती है, जिससे बाजरे की फसल धीरे-धीरे सूख कर नष्ट हो जाती है।
फसलों में सफेद लट और फड़का कीट का नियंत्रण कैसे करें?
कृषि अधिकारी दौसा अशोक कुमार मीना ने बताया कि किसान सफेद लट नियंत्रण के लिए बाजरा की खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 % SL 500 मिलीलीटर या क्यूनालफॉस 25 EC 4 लीटर दवाई प्रति हैक्टेयर की दर से 80 से 100 किलोग्राम सूखी मिट्टी या बजरी में मिलाकर वर्षा आने से कुछ समय पहले भुरकाव करें। यदि वर्षा नही हो रही है तो फव्वारा चला कर सिंचाई करें ताकि कीटनाशक पानी के साथ घुलकर जड़ क्षेत्र तक जाए जिससे सफदे लट की ग्रब को नष्ट किया जा सके।
मानसून की पहली वर्षा से 21 दिन तक लट की पहली व दूसरी अवस्था को नियंत्रण करना आसान रहता है। फड़का नियंत्रण हेतु प्रारम्भ में खेत की मेड़ों से घास की कटाई कर दें एवं क्यूनालफ़ॉस चूर्ण 1.5% पाउडर का भुरकाव करें, जिससे फड़के की निम्फ अवस्था को ही नष्ट किया जा सके।