राजस्थान के कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. करोड़ी लाल मीणा ने बताया कि किसानों को उच्च गुणवत्ता युक्त खाद, बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराना ही सरकार का प्रमुख ध्येय हैं इसके लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी और अमानक उर्वरकों व बीजों पर अंकुश लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाये जाते हैं।
कृषि मंत्री ने विभागीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि विनिर्माताओं और निर्माताओं के निरीक्षण के दौरान अनियमित्ता पाये जाने पर कृषि आदानों से संबंधित नियमों, अधिनियमों, उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत बिक्री पर रोक, जब्ती, लाइसेंस निलंबन या निरस्तिकरण जैसी कार्यवाही की जाए। कृषि मंत्री ने निर्देशित किया कि कृषि विभाग से संबंधित जन समस्याओं के निराकरण हेतु एक पृथक कॉल सेंटर की व्यवस्था करें। जहां पर जन शिकायतों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण किया जा सकेगा।
अमानक बीज क्या होते हैं?
कृषि मंत्री ने बताया कि अमानक बीज ऐसे बीज होते हैं, जो देखने में असली और प्रमाणित बीज जैसे ही लगते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी गुणवत्ता बहुत खराब होती है। इनमें अंकुर दर कम होती है व पौधे की बढ़वार कमजोर होती है और उत्पादन भी अपेक्षित मात्रा में नहीं मिलता है। ये बीज भारतीय बीज अधिनियम 1966 के अनुसार, निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते, कुछ मामलों में नकली बीज पुराने या खराब भंडारण वाले भी होते हैं, जिनकी अंकुर क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी होती है।
अमानक बीज से बचाव के उपाय
इस बारे में कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को कृषि विभाग द्वारा पंजीकृत और बीज अधिनियम 1966 के तहत प्रमाणित बीज ही खरीदना चाहिए, बीज खरीदते समय पैकेट पर सर्टिफाइड सीड का चिन्ह, प्रमाणन तिथि, वैधता तिथि, अंकुरण दर और लाइसेंस नम्बर अवश्य देखें। किसान प्रमाणित और ब्रांडेड बीज का ही उपयोग करें। बीज केवल कृषि विभाग से अधिकृत विक्रेताओं या सरकारी बीज निगमों की दुकानों से ही खरीदे, इससे बीज की गुणवत्ता और शिकायत की स्थिति में समाधान की व्यवस्था रहती है। उन्होंने बताया कि बुवाई से पहले बीज का अंकुरण परीक्षण अवश्य करें, 100 बीजों का एक नमूना लेकर नम कपड़े में अंकुरित कर अंकुरण दर जांची जा सकती है, इससे बीज की क्षमता का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को अमानक बीजों से बचाव के लिए जागरूक होना बेहद जरूरी है, उन्हें पंचायत स्तर, किसान मेलों, कृषि विभाग के जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। साथ ही स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर ही बीज का चुनाव करें। सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कई ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं, जैसे ‘ई-नाम’, आई-कृषि पोर्टल’ और ‘बीज निगरानी प्रणाली’, इन माध्यमों से किसान प्रमाणित बीजों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
अमानक बीज बेचने वालों की सूचना कृषि विभाग को दें
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को अमानक बीजों से बचाव के लिए जागरूक होना बेहद जरूरी है, उन्हें पंचायत स्तर, किसान मेलों, कृषि विभाग के जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। साथ ही स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर ही बीज का चुनाव करें। सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कई ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं, जैसे ‘ई-नाम’, आई-कृषि पोर्टल’ और ‘बीज निगरानी प्रणाली’, इन माध्यमों से किसान प्रमाणित बीजों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे प्रमाणित बीज ही खरीदें और सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें, इसके साथ ही प्रशासन को भी सख्ती से अमानक बीजों की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए, उन्होंने बताया कि अगर किसान सजग रहेंगे और बीज खरीद में सावधानी बरतेंगे तो वे अमानक बीजों के जाल से बच सकते हैं।