खेती की लागत कम करने के साथ ही आमजनों को गुणवत्ता युक्त उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस कड़ी में एमपी के जबलपुर जिले के कृषि विभाग के अधिकारी जैविक तरीके से खेती कर रहे किसान का खेत देखने पहुंचे। अनुविभागीय कृषि अधिकारी रवि कुमार आम्रवंशी अनुविभागीय कृषि अधिकारी सिहोरा द्वारा 21 जनवरी के दिन ग्राम धमधा के किसान जयराम केवट के खेत का निरीक्षण किया गया।
किसान जयराम केवट पिछले 10 सालों से स्वयं की 5 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था भोपाल से विगत दिनों इन्हें प्रथम वर्ष का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। किसान गाय पालन के साथ ही बायोगैस बनाने का काम भी कर रहे हैं।
किसान द्वारा इस तरह की जा रही है जैविक खेती
जैविक खेती कर रहे किसान जयराम केवट ने बताया कि उनके पास पांच देसी गाय हैं जिनसे उन्हें दूध के साथ-साथ गोबर एवं गौमूत्र भी प्राप्त होता है। गायों से प्राप्त गोबर एवं गौमूत्र से किसान द्वारा जीवामृत, धन जीवामृत का निर्माण कर खेत में उपयोग किया जा रहा है। साथ ही घर पर बने गोबर गैस प्लांट से निर्मित गैस का उपयोग घर का भोजन तैयार करने में करते हैं, जिससे एलपीजी गैस की बचत होती है।
बायोगैस प्लांट से निकली स्लरी से केंचुआ खाद का निर्माण कर स्वयं के खेतों में उपयोग किया जा रहा है। साथ ही पौधों की बढ़वार के लिये जीवामृत, धन जीवामृत एवं कीटनाशक के रूप में स्वयं के द्वारा निर्मित नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र आदि का उपयोग किसान द्वारा किया जाता है।
किसान को मिल रहे हैं अच्छे दाम
किसान ने जानकारी देते हुए बताया कि फसल सुरक्षा के लिये बाजार से कीटनाशक, फफूंदनाशक आदि दवा खरीदना नहीं करना पड़ता, जिससे खेती में लागत कम होती है। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि, उत्पादित फसल के बाजार में अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं। जैविक खेती से प्राप्त फसलें स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मृदा उर्वरकता में वृद्धि करती हैं।