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शुक्रवार, दिसम्बर 13, 2024
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कपास में गुलाबी सुंडी के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए कृषि विभाग ने की समीक्षा बैठक

हर साल कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से काफी नुकसान होता है। जिसका असर किसानों की आमदनी पर पड़ता है। ऐसे में समय पर किसान गुलाबी सुंडी का नियंत्रण कर सकें इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में सोमवार के दिन राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया की अध्यक्षता में पंत कृषि भवन में बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी के प्रकोप, प्रभावी नियंत्रण, प्रबंधन के लिए किये जा रहे कार्यो की समीक्षा हेतु वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया।

प्रमुख शासन सचिव ने श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, अनूपगढ, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, चूरू और भीलवाडा जिलों में गुलाबी सुण्डी के संभावित प्रकोप से होने वाले नुकसान के कारणों, विभागीय अधिकारियों द्वारा किये जा रहे प्रयासों एवं विभिन्न पहलूओं पर चर्चा की। साथ ही गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र, उसके प्राथमिक स्तर के प्रकोप व नुकसान पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

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किसानों को बताये गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के उपाय

प्रमुख शासन सचिव ने सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गुलाबी सुण्डी के प्रकोप का नियमित सर्वेक्षण कर उसके बचाव के उपाय तुरन्त किसानों को बतायें। साथ ही गुलाबी सुण्डी की रोकथाम के लिए पंचायत स्तर पर गोष्ठियों, सभाओं व रात्रि चौपालों का आयोजन किया जाए। जिला व खण्ड स्तरीय कन्ट्रोल रूम पूर्ण सजगता से गुलाबी सुण्डी का पर्यवेक्षण करते रहे।

बैठक के दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी प्रकोप होने का मुख्य कारण किसानों के खेतों में रखी पिछले वर्ष की वनसठियों के दूषित टिण्डों में कीट प्यूपा अवस्था में मौजूद रहना बताया जो कि मई-जून में अनुकूल वातावरण मिलते ही सक्रिय होकर फसल को संक्रमित करता है तथा लगातार जैसे-जैसे फसल में फूल आते रहते है संक्रमण जारी रहता है। अतः खेतों में रखी वनसठियों को वहाँ से दूर सुरक्षित स्थान पर भण्डारित करना ही उपाय है।

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पिछले साल इसलिए हुआ था गुलाबी सुंडी का प्रकोप

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल बिपरजॉय तूफान से हुई जल्दी वर्षा से बीटी कपास की बुआई लम्बी अवधि तक किये जाने के कारण गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र के लिए अनुकूल फसल उपलब्ध रहने से टिंडो में प्रकोप हो गया था। मई-जून से लगातार वर्षा होने से अधिक वनस्पति वृद्धि व कम तापमान के कारण कीट को अनुकूल वातावरण मिलने से कीट का प्रकोप बढ़ा।

कृषि विभाग ने सभी बीज उत्पादक कम्पनियों व आदान प्रतिनिधियों को सामाजिक सरोकार के तहत कीट की मॉनिटरिंग के लिए कृषकों के खेतों पर फेरोमैन ट्रेप लगाने व कीट प्रबंधन हेतु किये जाने वाले प्रचार-प्रसार में भागीदार बनने की अपील की है।

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