रबी सीजन में चने और सरसों की बुआई का समय शुरू हो गया है। ऐसे में किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी जा रही है। इस कड़ी में कृषि विभाग, खरगोन द्वारा किसानों को चने के अधिक उत्पादन देने वाली नवीन किस्मों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। साथ ही कृषि विभाग द्वारा चने के बीजों का बीज उपचार करने के बारे में भी बताया है।
कृषि विभाग, खरगोन के उप संचालक एमएस सोलंकी ने किसानों को चने की नवीन किस्मों जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता रहती है एवं उनका उत्पादन भी अधिक होता है, ऐसी किस्मों का चयन करने की सलाह दी है। उपसंचालक के मुताबिक़ किसान चने की नई किस्में आरवीजी-202, आरवीजी-203, आरवीजी-204, आरवीजी-205, जेजी-24, जेजी-36 की बुवाई करें। उपसंचालक ने बताया कि चने की यह किस्में जिले में बीज निगम, बीज उत्पादक समितियों एवं निजी विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
किसान बुआई से पहले करें बीज उपचार
उपसंचालक कृषि ने जानकारी देते हुए बताया कि 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक चने की बुवाई करें। बीज की बुवाई से पहले बीज उपचार अनिवार्य रूप से करें। जिसमें जैविक फफूंदनाशक के रूप में ट्राईकोडर्मा विरडी का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त 02 ग्राम थीरम प्लस 01 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज या वीटावेक्स 02 ग्राम/किलोग्राम से उपचारित करे। इसके उपरांत राइजोबियम एवं पी.एस.बी. कल्चर 05 ग्राम/किलोग्राम बीज के मान से उपचारित करे। जिन खेतों में चना में उकठा रोग की समस्या हो उन खेतों में चने की बुवाई न करे। चने की बुवाई ब्रॉड बेड फरो या रिज फरो विधि से करे जिससे नमी संरक्षित रहकर उपज में वृद्धि होती है।