किसान कम लागत में ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा समय-समय पर किसानों के लिए सलाह जारी की जाती है। इस कड़ी में इस वर्ष खरीफ सीजन में कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा प्रारंभिक सलाह जारी की गई है। कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कपास की बिजाई के समय को देखते हुए किसानों को कुछ सुझाव और सावधानियाँ बताई गई हैं ताकि किसान कम लागत में कपास का अधिक उत्पादन ले सकें।
कपास की खेती के लिए महत्वपूर्ण सलाह
- कृषि विश्वविद्यालय के मुताबिक रेतीले इलाकों में देसी कपास की बिजाई अप्रैल महीने के पहले पखवाड़े में करने को कहा गया है।
- किसान बीटी कपास की बिजाई अगर अप्रैल के पहले पखवाड़े में करते हैं तो मूँग की दो कतार और कपास की दो कतार में लगा सकते हैं।
- रेतीले इलाकों में बीटी कपास की बिजाई टपका (ड्रिप) विधि के द्वारा भी की जा सकती है।
- जहाँ पानी खराब है व कपास के जमाव में दिक्कत वहां कपास की बिजाई किसान बेड बनाकर करें।
- किसान भाई बीटी कपास का विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश किया हुआ बीज ही लें। इसकी जानकारी के लिए किसान जिले के कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करके ले सकते हैं, इसके अलावा विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी बीजों की जानकारी उपलब्ध है। बीटी कपास का बीज प्रमाणित संस्था या अधिकृत विक्रेता से ही लें तथा इसका पक्का बिल अवश्य लें।
- किसान भाई मिट्टी की जांच अवश्य करवायें, मिट्टी की जाँच का आधार पर ही पोषक तत्वों (खाद-उर्वरक) की मात्रा तय की जानी चाहिए।
कपास की खेती के लिए महत्वपूर्ण सावधानियाँ
- किसान अपने खेत में या आसपास रखी गई पिछले साल की नरमा की लकड़ियों के टिंडे एवं पत्तों को झड़क कर अलग कर दें एवं इकट्ठा हुए कचरे को नष्ट कर दें। इन लकड़ियों के टिंडों में गुलाबी सुंडी निवास करती है अतः यह कार्य मार्च महीने के अंत तक ज़रूर कर लेना चाहिए।
- वर्तमान में गुलाबी सुंडी के प्रति बीटी कॉटन का प्रतिरोधक बीज उपलब्ध नहीं है अतः 3G, 4G एवं 5G के नाम से आने वाले बीजों से सावधान रहें।
- गुलाबी सुंडी बीटी नरमे के दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भण्डारित लकड़ियों में निवास करती है, इसलिए लकड़ी व बिनौले का भंडारण सावधानीपूर्वक करें।
- जिन किसान भाइयों ने अपने खेतों में बीटी नरमा की लकड़ियों को भंडारित करके रखा है या उनके खेतों के आसपास कपास की जिनिंग व बिनौलों से तेल निकालने वाली मिल लगती है उन किसानों को अपने खेतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैं क्योंकि इन किसानों के खेतों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप अधिक होता है।
- विश्वविद्यालय द्वारा कपास की खेती के लिए हर दिन 15 में वैज्ञानिक सलाह जारी की जारी की जाती है अतः उसके अनुसार ही सस्य क्रियाएँ एवं कीटनाशकों का प्रयोग करें।