back to top
गुरूवार, अप्रैल 25, 2024
होमकिसान समाचारकृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की तीसी की नई उन्नत किस्म, अन्य किस्मों...

कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की तीसी की नई उन्नत किस्म, अन्य किस्मों से इस तरह है बेहतर

तीसी की नई उन्नत किस्म बिरसा तीसी-2

देश में विभिन्न फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की उन्नत क़िस्में विकसित की जा रही है, ताकि किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इस कड़ी में केन्द्रीय उप आयुक्त कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने 30 नवंबर को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा विकसित तीसी की नई उन्नत किस्म “बिरसा तीसी–2 (बीएयू -14-09)” गजट जारी किया है।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची द्वारा विकसित की गई तीसी की नई उन्नत किस्म “बिरसा तीसी–2” को भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केन्द्रीय उप समिति द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है।

क्या है बिरसा तीसी-2 किस्म की विशेषताएँ

इस किस्म को देश के 25 वर्षा आश्रित क्षेत्रों में तीन वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर जारी किया गया है। इस किस्म की उपज क्षमता 13.83 क्विंटल/ हेक्टेयर है, जो नेशनल चेक (टी–397) एवं जोनल चेक (प्रियम) की अपेक्षा करीब 11 प्रतिशत सुपीरियर है। इन दोनों की अपेक्षा इसकी (परिपक्वता अवधि 128-130 दिन) भी कम है। इसमें करीब 44.54 % तेल की मात्रा पाई गयी है, जो नेशनल एवं जोनल किस्मों से अधिक है। यह किस्म रस्ट रोग के प्रति उच्च प्रतिरोधी तथा विल्ट, अल्टरनरिया ब्लाइट, पाउडरी माइल्डयू एवं बडफ्लाई रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

यह भी पढ़ें   25 अगस्त तक ग्राम पंचायतों में किया जाएगा किसान पाठशाला का आयोजन, किसानों को मिलेगी यह जानकारी

इससे पूर्व रांची केंद्र द्वारा परियोजना के अधीन तीसी फसल की विकसित तीन प्रभेदों (प्रीयम, दिव्या एवं बिरसा तीसी–1) को सेंट्रल वेरायटल रिलीज़ कमिटी से अनुमोदन मिल चुका है।

तीसी-2 किस्म विकसित करने में इन इन वैज्ञानिकों ने दिया है योगदान

झारखण्ड राज्य के लिए उपयुक्त इस नये किस्म को आईसीएआर–अखिल भारतीय समन्वित तीसी व कुसुम फसल परियोजना, रांची केंद्र के परियोजना अन्वेंषक एवं मुख्य प्लांट ब्रीडर (तेलहनी फसल) के नेतृत्व में विकसित किया गया है। इस किस्म को वर्षो शोध उपरांत विकसित करने में शोध से जुड़े बीएयू वैज्ञानिक डॉ. परवेज आलम, डॉ. सविता एक्का, डॉ. एमके वर्नवाल, डॉ. रबिन्द्र प्रसाद, डॉ. एकलाख अहमद, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. एनपी यादव, डॉ. नरगिस कुमारी एवं डॉ. वर्षा रानी तथा सहयोगी फील्ड स्टाफ जयंत कुमार राम, देवेन्द्र कुमार सिंह, विशु उरांव एवं राम लाल उरांव का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

यह भी पढ़ें   सरकार ने पशुपालन क्षेत्र के लिए लॉन्च की अब तक की पहली ऋण गारंटी स्कीम

2 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

ताजा खबरें

डाउनलोड एप