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शुक्रवार, अप्रैल 19, 2024
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बेमौसम बारिश का प्रभाव कम करने एवं गेहूं के अधिक उत्पादन के लिए जीरो टिलेज तकनीक

 जीरो टिलेज तकनीक

ज़ीरो टिलेज तकनीक से गेहूं की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद नहीं होती। हाल के कुछ वर्षों में विश्व भर के मौसम में आ रहे बदलावों का असर भारत की खेती पर भी पड़ा है। लगातार कुछ वर्षों से जनवरी से मार्च के दौरान होने वाली बारिश से देश की रबी की फसल में काफी नुकसान देखा गया है। लेकिन नई तकनीक गेहूं की फसल बर्बाद होने का ख़तरा कम हो जाता है।

धान की पछेती फसल की कटाई के उपरांत खेत में समय पर गेहूँ की बोनी के लिय समय नहीं बचता और खेत ,खाली छोड़ने के अलावा किसान के पास विकल्प नहीं बचता ऐसी दशा में एक विशेष प्रकार से बनायी गयी बीज एवं खाद ड्रिल मशीन से गेहूँ  की बुवाई की जा सकती है। ज़ीरो टिलेज तकनीक में किसान धान की कटाई के बाद बिना खेत से खरपतवार हटाए और बिना जुताई किये सीधे नई फसल के बीज बो देता है।

16 प्रतिशत अधिक उत्पादन

इस तरीके की पुष्टि हरियाणा के करनाल में 200 छोटे-मंझोले किसानों के साथ खेती के शोध के बाद की गई। इन 200 किसानों ने ज़ीरो टिलेज तकनीक से खेती करके ये पाया कि पहले पारम्परिक तकनीक के मुकाबले गेंहू की उपज औसतन 16 प्रतिशत ज़्यादा हुई। इस तकनीक का दूसरा फायदा ये पाया गया कि मौसम की अनियमितताओं के चलते दिसम्बर-फरवरी के दौरान की बेमौसम बारिश की स्थिति में भी गेहूं खराब नहीं हुए।

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पारंपरिक तरीके से गेंहू की खेती किसानों के लिए एक खर्चीला व्यवसाय बन चुका है। पारम्परिक तरीके से खेती का मतलब ये हुआ कि किसान धान की फसल हटने के बाद पहले मजदूर लगाकर खरपतवार खेत से हटाएं, फिर दो-तीन पर ट्रैक्टर किराए पर लेकर पूरे खेत की जुताई करें। फिर अकेले या मजदूरों के माध्यम से छिड़काव करके बीज की बुआई होती है। इन प्रक्रियाओं के बाद एक राउंड रोटरी से फिर जुताई करनी पड़ती है।

जिसमें खेत में जुताई की आवश्यकता नहीं पड़ती धान की कटाई के उपरांत बिना जुताई किए मशीन द्वारा गेहूँ  की सीधी बुवाई करने की विधि को जीरो टिलेज कहा जाता है। इस विधि को अपनाकर गेहूँ  की बुवाई देर से होने पर होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है एवं खेत को तैयारी पर होने वाले खर्च को भी कम किया जा सकता है।

इस तकनीक को चिकनी मिट्टी के अलावा सभी प्रकार की भूमियों में किया जा सकता है। जीरो टिलेज मशीन साधारण ड्रिल की तरह ही है इसमें  टाइन चाकू की तरह है यह टाइन्स मिट्टी में नाली जैसी आकार की दरार बनाता है जिससे खाद एवं बीज उचित मात्रा एवं गहराई पर पहुँचता है। इस विधि के निम्न लाभ है।

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जीरो टिलेज तकनीक के लाभ 

  • इस मशीन द्वारा बुवाई करने से 85-90 प्रतिशत इंधन, उर्जा एवं समय की बचत की जा सकती है।
  • यह विधि को अपनाने से खरपतवारों का जमाव कम होता है।
  • मशीन के द्वारा 1-1.5 एकड़ भूमि की बुवाई 1 घंटे में की जा सकती हैं यह कम उर्जा की खपत तकनीक है अतः समय से बुवाई की दशा में इससे खेत तैयार करने की लागत 2000-2500 रू. प्रति हेक्टर की बचत होती है।
  • समय से बुवाई एवं 10-15 दिन खेत की तैयारी के समय को बचा कर बुवाई करने से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
  • बुवाई शुरू करने से पहले मशीन का अंशशोधन कर ले जिससे खाद एवं बीज की उचित मात्रा डाली जा सके।
  •  सिर्फ दानेदार खाद का ही प्रयोग करें जिससे पाइपों में अवरोध उत्पन्न न हो।
  • मशीन के पीछे पाटा कभी न लगाएँ।

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